सिर्फ खुल रहे ऑफिस: विभागों के बीच पत्राचार तक सिमटा काम
छतरपुर कलेक्टोरेट, जिला एवं जनपद पंचायात, एसडीएम और तहसील कार्यालय 4 मई से लॉकडाउन लगने से पहले की तहर खुलने लगे हैं। साथ ही सभी अधिकारी और कर्मचारी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अपनी ड्यूटी पर पहुंच रहे हैं। पर कार्यालय खुलने के एक माह बाद भी कलेक्टोरेट, एसडीएम और तहसील कार्यालय में लंबित मामलाें की सुनवाई शुरू नहीं हुई है और न ही आम जनता से जुड़े कार्य शुरू किए गए हैं।
मार्च माह के अंतिम सप्ताह में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में केंद्र सरकार ने छूट देते हुए 4 मई से सभी शासकीय कार्यालयों को खोलने के आदेश जारी किए। आदेश आने के बाद कलेक्टोरेट, जिला पंचायात, सभी ब्लॉकों में स्थित जनपद पंचायत के कार्यालय खुलना शुरू हो गए। साथ ही इन कार्यालयों के सभी कर्मचारी सहित अधिकारी बैठना शुरू हो गए। जिला मुख्यालय के सभी शासकीय कार्यालय एक माह के अधिक समय से खुल रहे हैं। पर इन विभागाें ने प्रशासनिक कार्यों के अतिरिक्त आम लोगों से जुड़े कामों को शुरू नहीं किया है। इस कारण जिले के आम लोगों के शासकीय कार्यालयों में लंबित मामले पिछले कई महीनों से अटके पड़े हैं।
तहसील: राजस्व का काम ठप, सिर्फ आपराधिक मामलों की हो रही सुनवाई
- छतरपुर तहसील के एसडीएम, तहसीलदर, नायब तहसीलदार और 14 लिपिक सहित 17 कर्मचारी कार्यरत हैं। जो सुबह साढ़े 10 से साढ़े 5 बजे तक अपनी ड्यूटी कर रहे।
- आरोपियों की जमानत और जमीन संबंधी नकल और प्रशासनिक कार्य हो रहा। नामांत्रण, नकल, गरीबी रेखा के राशन कार्ड, संपत्ति बटवारा, भू-अधिकार ऋण पुस्तिका सहित सीमांकन का कार्य बंद है।
- फिलहाल 100 से 125 लाेग काम करवाने पहुंच रहे हैं। पहले 700 से 800 लाेग पहुंचते थे।
- अधिकारियों के न बैठने से अधिकांश कार्य पहले की तुलना में देरी से हो रहे हैं। सिर्फ एमपी ऑनलाइन का कार्य जल्द हो रहा।
- एमपी ऑनलाइन से किए जाने वाले कार्याें से लोग संतुष्ट हैं, बाकी के कार्य बंद होने से लोग परेशान हैं।
जिला पंचायत : पंचायतों केभ्रष्टाचार की सुनवाई बंद
- जिला पंचायत सीईओ सहित 50 कर्मचारी पदस्थ, जो सुबह साढ़े 10 से शाम साढ़े 5 बजे तक ड्यूटी कर रहे हैं।
- जिला पंचायत सीईओ निर्माण कार्य और कोविड-19 की व्यवस्था में लगे हैं। कर्मचारी प्रशासनिक कार्यों की जानकारी बनाने में लगे। पंचायत सचिव और सरपंचों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के केसों की सुनवाई बंद है।
- 50 से 75 लोग पहुंच रहे पर अपना कार्य लेकर, पर अन्य कार्य बंद होने से लाेगाें काे मायूस होकर लौटना पड़ रहा है।
- पहले की अपेक्षा पंचायतों के कार्य जल्द हो रहे हैं, पहले किसी कार्य के लिए 15 से 20 दिन लगते थे, पर अब एक सप्ताह में हो रहा।
- आम आदमी की सुनवाई ही बंद है, तो संतुष्ट होने और न होने की काेई बात ही नहीं।
जनपद कार्यालय: यहां सिर्फ मनरेगा के काम हो रहे
- छतरपुर जनपद में 4 लिपिक, मनरेगा योजना में 7 लिपिक, 7 सब इंजीनियर और एक अधिकारी सहित 19 कर्मचारी कार्यरत। पूरा स्टाफ सुबह साढ़े 10 से साढ़े 5 बजे तक ड्यूटी कर रहा है।
- खेत तालाब, कपिलधारा व सार्वजनिक कूप, चैकडेम, नवीन तालाब, प्रधानमंत्री आवास, सामुदायिक खेत तालाब का निर्माण कार्य जारी। वृद्धावस्था पेंशन, राशन पर्ची, पंच परमेश्वर और सुदूर सड़क का काम बंद।
- कुछ ग्रामीण जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने आ रहे। आम दिनों में 300 से 400 लोग आते थे, पर अब 50 से 100 लाेग ही कार्यालय पहुंच रहे हैं।
- सिर्फ जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र का कार्य संचालित होने के कारण उसी दिन हो रहा काम, पहले दो से तीन दिन लग जाते थे।
- कार्य उसी दिन हो जाने से यहां आने वाले ग्रामीण संतुष्ट हैं।
कलेक्टर कार्यालय : न्यायालय में सुनवाई ठप, लिपिक पत्राचार कर रहे
- कलेक्टोरेट में कलेक्टर के अतिरिक्त 59 लिपिक कार्यरत, 4 मई से प्रतिदिन सुबह साढ़े 10 से साढ़े 5 बजे तक कर रहे ड्यूटी।
- कर्मचारी सिर्फ प्रशासन के पत्राचारों का जवाब दे रहे। कलेक्टर, एडीएम और संयुक्त कलेक्टर कोर्ट की सभी सुनवाई पुरी तरह से बंद हैं।
- फिलहाल लोग शिकायत और जमीन संबंधी नकल निकलवाने पहुंच रहे। आम दिनों में 900 से 1000 लोग आते हैं, पर अब 100 से 150 के बीच ही पहुंच रहे।
- काम होने में एक सप्ताह लग रहा है, जबकि पहले 10 से 12 दिन लगते थे।
- कर्मचारियों के पास काम अधिक न होने के कारण पहले की अपेक्षा जल्द हो रहा कार्य।
नगर पालिका: निर्माण कार्य ठप, कर वसूली सिर्फ 30 फीसदी
- नगर पालिका छतरपुर में सीएमओ, सब इंजीनियर सहित 95 कर्मचारी पदस्थ हैं, यह प्रतिदिन सुबह साढ़े 10 से साढ़े 5 बजे तक कर रहे ड्यूटी।
- पहले की तहर ही अपने सभी कर्मचारी कार्य करते हुए सफाई, समग्र आईडी, जल और संपत्ति कर वसूली सहित अन्य कार्य कर रहे हैं। निर्माण कार्य ठप हैं। कर वसूली भी मात्र 30 फीसदी हो रही है।
- अब 200 से 250 के बीच लोग पहुंच रहे हैं, जबकि आम दिनों में 800 से 900 के बीच पहुंचते थे।
- पहले काम होने में समय लगता था, पर लॉकडाउन के कारण लोगों के न पहुंचने से काम तुरंत हो रहा।
- पहले की अपेक्षा कर्मचारियोंके पास 30 प्रतिशत ही काम आ रहा है।
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