10 रुपए किलो बिकने वाले टमाटर के दाम 80 रुपए पार

लॉकडाउन में 10 रुपए किलो बिकने वाले टमाटर के भाव दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं। वहीं धनिया-मिर्ची की कीमतों ने भी रसोई का स्वाद बिगाड़ रखा है। इसका कारण डीजल की बढ़ती कीमतों के साथ पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र से होने वाली आवक पर ब्रेक लगने को बताया जा रहा है। थोक व्यापारियों की माने तो बारिश ज्यादा हुई तो सब्जियों के दाम और अधिक बढ़ जाएंगे।
शुक्रवार को थोक मंडी में धनिया 100 रुपए किलो तक बिका तो टमाटर भी 80 रुपए के आसपास उछाल मारता रहा। 15 दिनों में सब्जियों के दाम डेढ़ से दोगुना तक बढ़ने से मध्यमवर्गीय परिवारों की मुश्किलें बढ़ गई है। थोक सब्जी मंडी में लोकल सब्जी व्यापारियों के नहीं आने से सब्जियों की कमी हो गई है।
व्यापारियों के अनुसार अनलॉक होने के बाद भी दूसरे प्रदेशों से टमाटर और मिर्ची की पूर्ति नहीं हो पा रही है। सब्जियों की आवक कम होने से भाव भी डेढ़ से दोगुना तक बढ़ गए हैं। एक माह पहले 10-20 रुपए प्रतिकिलो बिकने वाला टमाटर पिछले दिनों 60 से 70 रुपए प्रतिकिलो पहुंच गया है। ऐसे में विवाह मुहूर्त के आने से इसके दाम 100 रुपए किलो तक पहुंच गए थे। रिटेल मंडी व फेरी वाले सब्जी व्यापारियों द्वारा हरी मिर्च 100 से 130 प्रतिकिलो बेची जा रही है। आलू, लौकी, करेला, भिंडी, टिंडे, नींबू, कैरी के भाव भी आम आदमी के बजट से बाहर ही पहुंच गए हैं।
सूनी पड़ी सब्जी मंडी, ग्राहकों का इंतजार
फुटकर व्यापारी सिद्धूलाल ने बताया सब्जियां महंगी होने से ग्राहकी पर असर पड़ने लगा है। पूरे शहर में फैरी लगाने के बाद ही गिने चुने लोग ही खरीदी करते हैं। अधिकांश ग्राहक तो सब्जी के दाम सुनकर ही आगे निकल जाते हैं। हरी मिर्च व टमाटर के दाम बजट बिगाड़ रहे हैं। ग्राहक केवल पूर्ति के लिए हरी मिर्च व टमाटर खरीदते हैं। सब्जी व्यापारी अर्जुन कुशवाह ने बताया स्थानीय किसानों द्वारा सब्जी की पूर्ति नहीं होने पर दाम बढ़ जाते है। बाहर से आने वाली सब्जी महंगी ही रहेगी।
सब्जियों के लिए दूसरे प्रदेशों पर निर्भर
किसान जितेंद्र पाटीदार ने बताया क्षेत्र के किसान परंपरागत फसलें ही ले रहे हैं। इसमें गेहूं, सोयाबीन, चना और ज्यादा से ज्यादा मक्का की फसल करते हैं। सब्जियों पर स्थानीय किसानों ने कभी ध्यान ही नहीं दिया। ऐसे में प्रदेश के कई शहर सब्जियों के मामले में दूसरे प्रदेशों पर ही निर्भर हैं। मार्च के बाद से ही हमारे क्षेत्र में पंजाब, महाराष्ट्र और राजस्थान से टमाटर और मिर्ची की आवक शुरू हो जाती है। ऐसे में यदि किसान सब्जियों की फसलों को लेना शुरू कर देते हैं तो मुनाफा भी ज्यादा होगा।
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