लॉकडाउन में मिले 79 दिन से विज्ञान में 13% अंक बढ़े, 3 स्टेट टॉपर मिले पर 5 साल का सबसे खराब रिजल्ट

लॉकडाउन बच्चों के लिए फायदेमंद रहा। जिन विषयों की परीक्षा लॉकडाउन के बाद हुई। वो ही विषय स्कोरिंग साबित हुए और इसमें तैयारी के 79 दिन मिलने से बच्चे इनमें सबसे ज्यादा नंबर लाए हैं। 23 मार्च से लॉकडाउन लग गया। इससे विज्ञान समूह की केमिस्ट्री और बॉयोलॉजी, आर्टस समूह का भूगोल और राजनीति का पर्चा और वाणिज्य समूह की अकाउंट्स की परीक्षा बाद में हुई थी। इससे सबसे ज्यादा अंक स्टूडेंट को इसी विषय में मिले हैं। हमारे स्कूल की छात्रा संगीता पिता विक्रमसिंह आर्ट्स संकाय में जिले की मेरिट में आई है। उसे 500 में से 445 अंक मिले हैं। आर्ट्स संकाय का लॉकडाउन के पहले का रिजल्ट 88.6 फीसदी रहा। वहीं लॉकडाउन के बाद भूगोल और राजनीति विज्ञान विषय की परीक्षा हुई उसका परिणाम 94.5 फीसदी रहा। वहीं विज्ञान में लॉकडाउन के पहले के बच्चे 76 फीसदी अंक लाए थे। जबकि बाद में केमिस्ट्री और बॉयलोजी का प्रश्नपत्र हुआ तो 89 फीसदी अंक बच्चे लाए हैं। वाणिज्य संकाय में लॉकडाउन के पहले 79 फीसदी अंक लाए वहीं लॉकडाउन के बाद 86 फीसदी। अधिकतर स्टूडेंट का परीक्षा परिणाम लॉकडाउन के बाद सुधरा है क्योंकि लॉकडाउन के दरम्यान बच्चों को पढ़ाई का मौका मिल गया।
अमर वरधानी, डीपीसी और प्राचार्य शा. नित्यानंद हासे स्कूल (भास्कर के लिए)

प्रदेश में हम नतीजे में 45वें स्थान पर, संभाग में भी हम सबसे पीछे

माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12वीं की परीक्षा का परिणाम सोमवार दोपहर को आया जो 62.28 % रहा। इस साल प्रदेश की मेरिट में तीन स्टूडेंट ने स्थान पाया है। इसमें विज्ञान समूह में शीतल कसेरा ने छठा स्थान और हार्दिक अग्रवाल ने नौवां स्थान पाया है। वहीं काॅमर्स समूह में समीक्षा भगौरा ने प्रदेश की मेरिट में पांचवां स्थान पाया है। हालांकि रतलाम जिले का रिजल्ट पिछले पांच साल में सबसे कमजोर रहा है। प्रदेश में हम 45वें स्थान पर रहे हैं। वहीं संभाग में हम सबसे पीछे रहे हैं। अब शिक्षा विभाग कक्षा बारहवीं में कमजोर रिजल्ट वाले स्कूलों की समीक्षा करने की बात कह रहा है।

उत्कृष्ट स्कूल का रिजल्ट 98.2 फीसदी रहा
उत्कृष्ट स्कूल का रिजल्ट 98.2 फीसदी रहा है। स्कूल में 229 स्टूडेंट में से 225 स्टूडेंट पास हुए हैं। पिछले साल स्कूल का रिजल्ट 99 फीसदी रहा है। उत्कृष्ट स्कूल प्राचार्य सुभाष कुमावत ने बताया एक स्टूडेंट फेल हुआ है। 90 फीसदी स्टूडेंट फ़र्स्ट डिविजन पास हुए हैं। रिजल्ट पिछले साल की तुलना में कमजोर रहा है।
उम्मीद के अनुसार नहीं रहा रिजल्ट,समीक्षा करेंगे
डीईओ केसी शर्मा ने बताया रिजल्ट उम्मीद के अनुसार नहीं रहा है। हमें अच्छे रिजल्ट की अपेक्षा थी पर बेहद कमजोर आया है। दसवीं से भी कमजोर। समीक्षा की जाएगी कि आखिर रिजल्ट इतना कमजोर क्यों आया है। आगे से रिजल्ट में सुधार हो इसके प्रयास किए जाएंगे।

पिता ठेला लगाते हैं, बेटी दसवीं की तरह 12वीं में भी प्रदेश की मेरिट में आई

विज्ञान समूह में प्रदेश की मेरिट में छठे स्थान पर आई शीतल कसेरा दसवीं में भी प्रदेश की मेरिट में 8वें स्थान पर रही थी। शीतल के पिता बाबूलाल कसेरा बर्तन की ठेलागाड़ी लगाते हैं और मम्मी गृहिणी हैं। शीतल ने बताया थोड़ा-थोड़ा रोज पढ़ें और कांफिडेंस हो तो अच्छे अंक हासिल किए जा सकते हैं। शीतल को 500 में से 485 अंक मिले हैं। सबसे ज्यादा 99 अंक आईटी में आए हैं।

दसवीं में भी चौथा स्थान मिला था, इस बार प्रदेश की मेरिट में 9वां स्थान मिला

विज्ञान समूह में प्रदेश की मेरिट में नौवां स्थान हासिल करने वाले हार्दिक अग्रवाल ने 10वीं में भी प्रदेश की मेरिट में चौथे थे। हार्दिक के पिता अनीस अग्रवाल व्यापारी हैं और मां सरिता अग्रवाल गृहिणी हैं। हार्दिक के 500/482 अंक आए हैं। हार्दिक को केमिस्ट्री में सबसे ज्यादा अंक 98 मिले हैं। यह पेपर लॉकडाउन के बाद हुआ था। हार्दिक ने बताया दो से चार घंटे रोजाना और कॉन्फिडेंस के साथ पढ़ाई करने पर हम अच्छे नंबर हासिल कर सकते हैं।

केवल स्कूल में टॉप आने की उम्मीद थी पढ़ाई पर फोकस से आए अच्छे अंक
समीक्षा मोगरा ने वाणिज्य संकाय में प्रदेश की मेरिट में पांचवां स्थान पाया है। समीक्षा को 500 में से 475 अंक मिले हैं। समीक्षा के पिता राकेश मोगरा पोस्ट ऑफिस में एजेंट हैं और मां समता मोगरा गृहिणी हैं। समीक्षा ने 10वीं में 95.6 फीसदी अंक हासिल किए थे। समीक्षा ने बताया कि मुझे तो स्कूल में टॉप में आने का आशा थी लेकिन मेरिट में आ गई। स्टूडेंट पढ़ाई पर पूरा फोकस रखे तो अच्छे अंक हासिल किए जा सकते हैं।





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Science has risen by 13% in 79 days since lockdown, got 3 state toppers but got worst results in 5 years


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