साबुन से नहीं धो रहे बार-बार हाथ, सब्जी व फुटवियर से घर तक पहुंच रहा वायरस

शहर में कोरोना का 24 मार्च को पहला मरीज मिलने के बाद 112 दिन गुजर गए हैं, पर इस दौरान एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा, जब मरीज न आया हो। बीच में कभी मरीज कम जरूर होते हैं, पर फिर एकाएक तादाद बढ़ने लगती है। इसके पीछे लोगों की लापरवाही, साबुन की जगह सैनिटाइजर पर निर्भरता, सब्जी-फल की खरीदी जैसे पहलू सामने आ रहे हैं।

कम अल्कोहल के सैनेटाइजर
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल और प्रिवेंशन के मुताबिक, वायरस से बचाव के लिए ऐसा सैनिटाइजर जरूरी है, जिसमें कम से कम 60 फीसदी अल्कोहल हो। शहर में जो गली-गली में सैनिटाइजर बिक रहे हैं, उनकी गुणवत्ता संदिग्ध है। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की रिसर्च बताती है कि सैनिटाइजर की जगह साबुन ज्यादा अच्छा है।

जूते-चप्पल से भी खतरा
बाहर घूमने वाले घर के अंदर जूते या चप्पल पहनकर ही अंदर आते हैं, यह भी संक्रमण का बड़ा खतरा है। फुटवियर घर से बाहर उतारना और उनके तलवे सैनिटाइज करना जरूरी है, वरना सड़क पर किसी के थूक, सलाइवा आदि फुटवियर पर आने से यह मुंह तक पहुंचकर संक्रमित कर सकता है।

भुट्टे वालों की कॉन्ट्रैक्ट हिस्ट्री
सप्ताहभर में जो मरीज सामने आए हैं, इनमें एक बड़ी कॉन्टैक्ट हिस्ट्री सब्जी और भुट्टे वालों की रही है। हातोद और रालामंडल में यही बड़ा कारण मिला। शहरी सीमा पर कई ऐसे ठेले लग गए हैं और लोग खरीदारी भी कर रहे। इनमें से एक भी संक्रमित हुआ तो जितने लोगों ने खरीदी की उससे भी संक्रमण का डर है।

किल कोरोना अभियान के आठ दिन में कोविड के 2209 संदिग्ध मिले

किल कोरोना अभियान के तहत 8 जुलाई तक इंदौर जिले में 3 लाख 74 हजार 906 घरों का सर्वे पूरा हो गया है। इसमें कोविड के 2209 संदिग्ध सामने आ चुके हैं। डेंगू के 10, मलेरिया के 435 व 344 अन्य संदिग्ध हैं। गुरुवार को 72019 घरों का सर्वे हुआ।

5000 केस : चुनौती मरीजों को पहचानने व समय पर इलाज की

कोरोना मरीजों का आंकड़ा 5000 पर पहुंचने और आसपास के गांवों तक संक्रमण फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन अलर्ट तो है, लेकिन मरीजों की समय पर पहचान सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। इससे निपटने के लिए हर दिन शहर में 2000 सैंपल एकत्र किए जा रहे हैं, लेकिन जांच 1300 से 1500 की हो पा रही है। अगर जुलाई के 9 दिन के मरीजों की संख्या ही देखें तो अब भी पॉजिटिव रेट 1 से 3 फीसदी के बीच बना हुआ है। चिंता ये है कि जून में हर दिन मिलने वाले मरीज 20 से 40 के बीच सिमट गए थे, वे फिर बढ़कर 40 से 60 के बीच हो गए हैं। प्रशासन को उम्मीद है कि 1 जुलाई से शुरू हुए किल कोरोना अभियान से मरीजों की समय पर पहचान कर इलाज किया जा सकेगा।

गाइडलाइन के पालन में लापरवाही
कोरोना की गाइडलाइन का पालन करने में लापरवाही हो रही है। कई जगह लोग मास्क हटाकर सडक किनारे ही ठेले, गुमटी से खाना लेकर खा रहे हैं और संक्रमित हो रहे हैं। सब्जी विक्रेता बड़ा केंद्र बन गए हैं। सैनिटाइजर की जगह लोग अधिक से अधिक साबुन से हाथ धोएं, फुटवियर को भी साफ करें। इन सभी मामले में हम सख्ती शुरू कर रहे हैं।
मनीष सिंह कलेक्टर



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Virus reaching home by washing hands, vegetables and footwear repeatedly with soap


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