थ्री स्टार उज्जैन नंबर-1 से 12वें पर पहुंचा... क्योंकि खुदी सड़क, खुले नाले, पाॅलीथिन पर पाबंदी भी बेअसर

स्वच्छ सर्वेक्षण 2020: देश के 4203 शहरों की रैंकिंग, बड़े शहरों में इंदौर सहित 16 शहर हमसे आगे
एक राहतभरी खबर: शहर को बेस्ट सिटीजन लेड इनिशिएटिव श्रेणी में ओवरऑल पहला पुरस्कार
भास्कर संवाददाता | उज्जैन
निगम का भारी अमला होने के बावजूद सफाई की रैंकिंग फिसल गई है। 2019 में 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में उज्जैन पहले स्थान पर आया था। इस साल 12वें नंबर पर पहुंच गया है। पूरे देश की रैंकिंग देखें तो शहर इंदौर सहित 16 शहरों से पिछड़ गया है। पिछले साल देशभर में हमारा नंबर चाैथा था, इस बार यह 20 पर पहुंच गया है। सीवरेज के लिए जगह-जगह खोदी सड़क अब तक नहीं बनाई जा सकी है। नाले खुले हैं। पॉलीथिन पर पाबंदी का असर दिखाई नहीं दे रहा है।
केंद्रीय आवास और शहरी मंत्रालय ने गुरुवार को स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 की रैंकिंग जारी की। इस साल देश के 4203 शहरों ने इसमें भागीदारी की है। इसमें कुल 6000 अंक रखे थे। इसमें से शहर को 4826.53 अंक मिले हैं। स्टार रेटिंग में थ्री स्टार मिलने के बावजूद सफाई में पिछड़ने को लेकर संबंधित एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। महापौर मीना जाेनवाल का कहना है निगम आयुक्त के बार-बार बदलने से स्वच्छ भारत मिशन की गतिविधियाें पर असर पड़ा है, जबकि निगम आयुक्त का कहना है कि परिणाम पर विचार किया जाएगा। यह देखेंगे कि कहां कमियां हैं। आगामी सर्वेक्षण में उन्हें दूर कर लिया जाएगा।
बधाई से सफाई अभियान ने रखी लाज
बधाई से सफाई अभियान ने हमें देश में अव्वल स्थान दिलाया है। शहर को बेस्ट सिटीजन लेड इनिशिएटिव श्रेणी में ओवरऑल पहला पुरस्कार मिला है। इस श्रेणी में करीमनगर और सीहाेर को भी पुरस्कार मिले हैं। अभियान के तहत निगम ने किन्नरों की मदद से शहर में बधाई से सफाई जागरुकता अभियान चलाया था।

सीवरेज का काम
घरों से निकले गंदे पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए बनाए प्रोजेक्ट का काम चलने से आधे शहर की अधिकांश सड़कें खुदी पड़ी हैं। इसी दौरान स्वच्छ सर्वेक्षण भी हुआ, जिससे सिटीजन फीडबैक अच्छा नहीं रहा।
आयुक्त का तबादला
स्वच्छ सर्वेक्षण की तैयारियों के बीच एक साल में नगर निगम में तीन आयुक्त बदल गए। प्रतिभा पाल का स्थानांतरण होने के बाद क्षितिज सिंघल को प्रभारी बनाया। उसके बाद ऋषि गर्ग ने पदभार संभाला, जिससे व्यवस्था पर असर पड़ा।
नालियाें का खुला होना
शहर में 27 बड़े नाले हैं, जो अधिकांश जगह से खुले हैं। ऐसे में स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए आई टीम लोगों से फीडबैक लेने पहुंची तो उन्होंने सफाई नहीं होने की बात कही।
जागरुकता में कमी
निगम ने दो अन्य सहयोगी एजेंसियों से रहवासियों को जागरूक किया। बावजूद कई स्थान ऐसे रहे जहां टीम पहुंच ही नहीं पाई, नतीजा यह रहा कि रहवासी यह जान ही नहीं पाए।
पॉलीथिन पर पाबंदी बेअसर
निगम ने पॉलीथिन पर पाबंदी का दावा तो किया लेकिन वह बेअसर रही। शहर के मुख्य बाजारों से लेकर कॉलोनियों की दुकानों में पॉलीथिन का उपयोग न तो बंद हुआ न ही उसमें कमी आई।

ये शहर हमसे आगे रहे, क्योंकि...

इंदौर- कचरा गाड़ियों की मॉनिटरिंग के लिए जीपीएस लगाया है। कंट्रोल रूम और 19 जोन की अलग-अलग 19 स्क्रीन। 29 हजार से ज्यादा घरों में गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग का काम किया। सड़कों को दिन में तीन बार साफ किया जाता है, जबकि व्यावसायिक इलाकों से दो बार और आवासीय क्षेत्रों से एक बार कचरा उठाने का काम किया जाता है।
अंबिकापुर- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर सबसे ज्यादा काम किया। 445 महिलाएं घर-घर से कचरा एकत्रित करके सॉलिड एंड लिक्विड रिर्सोस मैनेजमेंट के तहत उसे अलग-अलग करती हैं। शहर को डस्टबिन फ्री बनाया। डंपिंग स्टेशन खत्म करके पार्क बनाया है। सफाई के लिए 137 रुट बनाए हैं। 1600 घरों में गीले कचरे से खाद बनाया जाता है।

सफाई के कामों में स्थायित्व नहीं रहा
स्वच्छता सर्वेक्षण की गतिविधियों के बीच बार-बार निगम आयुक्त बदलते रहे। ऐसे में सफाई से जुड़े कामों को लेकर स्थायित्व नहीं रहा। यही कारण है कि निगम अमले के पूरे प्रयास के बावजूद रैंकिंग गिरी है। वाटर बॉडिज के आसपास का अतिक्रमण हटाने में भी हम पूरी तरह कामयाब नहीं हुए।
-मीना जोनवाल, महापौर
अगली बार टॉप 5 में
सफाई के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए स्वच्छता एप है। इस बार के परिणाम बता रहे हैं कि एप का उपयोग कम हुआ है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। हमारा प्रयास है कि अगली बार हम टॉप फाइव में आएं।
-क्षितिज सिंघल, आयुक्त नगर निगम



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Three stars reached 12th from Ujjain number-1 ... because the carved road, open sewer, ban on polythene is also ineffective


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