सड़कों पर 10 फीसदी मेट्रो बसें फिर भी नहीं मिल रहीं पर्याप्त सवारियाँ

सिटी परिवहन का अहम साधन मेट्रो बसें इन दिनों पूरी तरह खाली चल रही हैं। सामान्य दिनों में जो बसें सवारियों से खचाखच भरी रहती थीं अब उनमें से सिर्फ कुछ बसों में ही इक्का-दुक्का सवारियाँ नजर आती हैं। शहर में बढ़ रहे कोविड-19 के मरीजों के कारण लोग मेट्रो बसों से तौबा कर रहे हैं। वे अपने वाहनों से गंतव्य तक जाना या जरूरत न हो तो घरों से न निकलना ही बेहतर समझते हैं। एक समय था जब डिपो से सड़कों पर तकरीबन 1 सैकड़ा बसें उतरती थीं, कुछ मार्गों की बसों में तो सवारियाँ दरवाजों तक लटकी दिखती थीं और अब 10 से 12 बसें ही डिपो से निकलती हैं और वे भी सवारियों को तरसती रहती हैं। स्टॉपेज पर बस ऑपरेटर समय से अधिक खड़े रहते हैं, लेकिन फिर भी सवारियाँ बसों में बैठने राजी नहीं होती हैं। फुँकता है तो सिर्फ बसों का डीजल।पी-2



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