नवरात्र 16 अक्टूबर से, 14 नवंबर को मनेगी दीपावली
इस साल दो अश्विन मास पड़ रहे हैं। इसके कारण यह साल 13 महीनों का होगा। इस वर्ष 17 सितंबर को पितृ मोक्ष अमावस्या के अगले दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत नहीं होगी। इसके लिए लोगों को पूरे एक महीने तक इंतजार करना होगा। नवरात्र का शुभारंभ 17 अक्टूबर को होगा। इसका कारण इस साल अधिमास का होना है, जो हर तीन साल में एक बार आता है। नवरात्र के विलंब से होने के कारण इस बार दीपावली 14 नवंबर को होगी, जबकि यह गत वर्ष 27 अक्टूबर को थी।
अधिमास होने के कारण 22 अगस्त को गणेशोत्सव के बाद जितने भी बड़े त्योहार हैं, वे गत वर्ष की तुलना में 10 से 15 दिन की देरी से आएंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित गोविंद उपाध्याय के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा का पर्व एवं पूर्णिमा श्राद्ध एक सितंबर को मनाया जाएगा। प्रतिपदा का श्राद्ध दो सितंबर बुधवार को मनाया जाएगा। प्रथम आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा का प्रारंभ दो सितंबर को सुबह 10:51 बजे से हो जाएगी, जो दूसरे दिन गुरूवार को दोपहर 12:26 बजे तक रहेगी।
प्रतिपदा उदया तिथि में गुरूवार के दिन होने के कारण प्रथम आश्विन कृष्ण पक्ष का प्रारंभ एक सितंबर से माना जाएगा, लेकिन श्राद्ध कुतप बेला में प्रतिपदा बुधवार दो सितंबर में होने के कारण मनाया जाएगा। द्वितीया तिथि का श्राद्ध तीन सितंबर को होगा। पांच सितंबर शनिवार को तृतीया का श्राद्ध होगा। अगले श्राद्ध इसी क्रम में रहेंगे। सर्वपितृ अमावस्या 17 सितंबर गुरूवार के दिन मनाई जाएगी।
विक्रम संवत्सर 2077 के चलते इस वर्ष दो अश्विन होने से यह वर्ष 13 माह का रहेगा। अश्विन माह की अवधि 3 सितंबर से प्रारंभ होकर 29 अक्टूबर तक रहेगी।
इस बार दो दिन मनेगी जन्माष्टमी
इस बार जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पं. गोविंद उपाध्याय ने बताया कि इस बार जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जाएगा। 11 अगस्त मंगलवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का वृत स्मार्त लोग या स्मृतियों को मानने वाले गृहस्थ लोग मनाएंगे। 12 अगस्त बुधवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व वैष्णव संप्रदाय के लोग मनाएंगे।
अश्विन...3 सितंबर से 29 अक्टूबर तक रहेगा
अश्विन माह 3 सितंबर से प्रारंभ होकर 29 अक्टूबर तक रहेगा। इसमें बीच की अवधि वाली तिथि में 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक का समय अधिमास वाला रहेगा। इस कारण 17 सितंबर को पितृ मोक्ष अमावस्या के बाद अगले दिन 18 सितंबर से नवरात्र प्रारंभ नहीं होंगे, बल्कि नवरात्र का शुभारंभ 17 अक्टूबर को होगा। जबकि गत वर्ष 29 सितंबर को प्रारंभ हो गए थे। देवउठनी एकादशी 25 नवंबर को होगी। माह के अंत में इस एकादशी के होने के कारण नवंबर व दिसंबर दोनों ही माह में विवाह मुहूर्त की कमी रहेगी, क्योंकि 16 दिसंबर से एक माह के लिए खरमास प्रारंभ हो जाएगा।
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