25 प्रतिशत श्रमिकों को वीआरएस देने की योजना नहीं, अफवाहों पर ध्यान न दें कर्मचारी -प्रबंधन

ग्रेसिम उद्योग में मैन पॉवर कम करने की कोई योजना नहीं है, न इस संबंध में उच्च या स्थानीय प्रबंधन स्तर पर कोई चर्चा ही हुई है। अपुष्ट माध्यमों से आ रहे खबरें महज अफवाहें हैं, कर्मचारी इससे कतई विचलित न हो। यह बात मीडिया से चर्चा में ग्रेसिम उद्योग के जनसंपर्क अधिकारी संजय व्यास ने कही है। व्यास के अनुसार स्थायी श्रमिकों को वीआरएस देने की किसी रणनीति पर अब तक तो विचार तक नहीं हुआ है।

ग्रेसिम में गतिशील श्रम संगठन और संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा में शामिल हिंद मजदूर सभा के प्रधानमंत्री जगमालसिंह राठौड़ ने बताया कि एक समाचार एजेंसी ने मप्र असंगठित कामगार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष व श्रमिक नेता सुल्तानसिंह शेखावत के हवाले से ग्रेसिम में श्रमिकों को वीआरएस देने काे लेकर प्रबंधन के साथ बैठक होने का जिक्र किया है। जबकि प्रबंधन ने किसी भी श्रम संगठन से संबंधित मामले में चर्चा नहीं की है। ऐसे में यह संभव नहीं कि बगैर संयुक्त मोर्चा में शामिल श्रम संगठन भारतीय मजदूर संघ, हिंद मजदूर सभा और एटक की सहमति से 25 प्रतिशत श्रमिकों को वीआरएस दिया जा सके। राठौड़ के अनुसार एक साल पूर्व ही संपन्न हुए त्रिपक्षीय पांच सालाना समझौते में भी मैन पॉवर में कमी करने की कोई शर्त नहीं है।

अघोषित वीआरएस लागू कर चुका है प्रबंधन

इधर, एजेंसी में जारी बयान पर भाजपा नेता सुल्तानसिंह शेखावत ने स्पष्ट किया कि कोरोना संक्रमण के कारण छाई वैश्विक मंदी के कारण आदित्य बिड़ला उद्योग समूह की सभी यूनिटों में 25 प्रतिशत श्रमिकों की छंटनी करने का ई-मेल तीन माह पहले ही भेजा जा चुका है। अगर यह सही नहीं है तो फिर क्या कारण है कि ग्रेसिम प्रबंधन ने 55 स्टाफ कर्मचारियों और 28 स्थायी श्रमिकों को नौकरी से पृथक किया जा चुका है। हकीकत में ग्रेसिम प्रबंधन की नीयत ठीक नहीं है। उनकी मंशा है कि घोषणा करने की बजाए अघोषित रूप से वीआरएस लागू कर छंटनी की जाए, ताकि श्रम नियमों की अवहेलना भी न हो और श्रम संगठन और राजनीतिक दलों का दबाव न झेलना पड़ा।

कांग्रेस का कहना- प्रबंधन पीछे से न करें वार

मामले में मप्र कांग्रेस कमेटी सदस्य बसंत मालपानी ने बताया कि एक समाचार एजेंसी द्वारा वरिष्ठ भाजपा एवं श्रमिक नेता सुल्तानसिंह शेखावत के हवाले से जारी की गई खबर से ऐसा प्रतीत होता है कि ग्रेसिम प्रबंधन सामने न आकर पीछे से श्रमिकों की छंटनी करने की साजिश रच रहा है। 25 प्रतिशत श्रमिकों की छंटनी का मतलब है कि फिलहाल उद्योग में कार्यरत 5500 श्रमिकों में से लगभग 1375 श्रमिकों को बाहर किया जाएगा।

इसका सीधा असर शहर के व्यापार व्यवसाय पर पड़ेगा। जबकि सच्चाई यह है कि ग्रेसिम उद्योग की स्थानीय यूनिट से कमाए गए मुनाफे कारण ही आदित्य बिड़ला समूह का देशभर में विस्तार हुआ है। यहां बह रही चंबल के पानी की तासीर के कारण ही वैश्विक पटल पर ग्रेसिम में बने कृत्रिम फाइबर की सबसे अधिक डिमांड है। ऐसे में कोरोना काल में वैश्विक मंदी के बहाने अगर किसी श्रमिक का अहित हुआ तो कांग्रेस उसका मुंहतोड़ जवाब देगी।

प्रबंधन विस्तारीकरण की तैयारी में वीआरएस लगाने की जरूरत नहीं -राठौड़

हिंद मजदूर सभा के जगमालसिंह राठौड़ के अनुसार ग्रेसिम प्रबंधन ने प्लांट विस्तारीकरण की योजना बना रखी है। ऐसे में जब प्लांट का विस्तार होगा तो मैनपॉवर बढ़ेगा, न कि घटाया जाएगा। वीआरएस की जरूरत इसलिए भी नहीं है, क्योंकि लगभग 15 प्रतिशत स्थायी श्रमिक तो आने दो से तीन साल में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। राठौड़ ने यह जरूर स्वीकार किया कि कोरोना संक्रमण के कारण वैश्विक बाजार में कृत्रिम फाइबर की डिमांड नहीं है।

इससे पूरी क्षमता से उद्योग नहीं चल पा रहा है। इस कारण ग्रेसिम का फाइबर नहीं बिक रहा, जिससे 1750 में से 400 स्थायी और लगभग 3500 ठेका श्रमिकों से 80 प्रतिशत घर बैठे हैं। मगर यह दिन भी गुजर जाएंगे। जल्द सबकुछ ठीक होगा। राठौड़ ने श्रमिकों का विश्वास दिलाया कि वीआरएस स्कीम लागू करने से पहले संयुक्त यूनियन मोर्चा की सहमति और श्रम विभाग से अनुमति लेना जरूरी है। सहमति और अनुमति दोनों ही नहीं है, ऐसे में श्रमिक भाइयों को तनिक भी विचलित होने की जरूरत नहीं है।

श्रमिकों को देना होगा वेतन

भाजपा नेता सुल्तानसिंह ने कहा कि 3500 ठेका श्रमिकों में से प्रतिदिन उद्योग में 1900 श्रमिक लगते हैं। बावजूद महज 300-400 श्रमिकों को ही ड्यूटी दी जा रही है, जबकि ये सब स्थायी नेचर और प्रोडक्शन का काम करते आए हैं। घर बैठाए गए श्रमिकों को भी प्रबंधन को वेतन देना होगा। बरदाश्त नहीं किया जाएगा।



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