टैक्स 50 पैसे किया तो मंडियां कर सकती मॉडल एक्ट का मुकाबला
प्रदेश की 257 कृषि उपज मंडियां मॉडल एक्ट 2020 का मुकाबला सोयाबीन सीजन में करने को तैयार हैं। सोयाबीन का नया सीजन दाे माह में शुरू हो जाएगा। सीजन में 5 से 6 करोड़ रुपए की सोयाबीन रोज बिकती है। मंडी को राजस्व के रूप में मंडी शुल्क भी करोड़ों रुपए मिल जाता है। मॉडल एक्ट के तहत खुल रही निजी मंडियां और दुकानें यह स्थापित मंडी की 50 फीसदी आवक घटा सकती है। इससे मंडी को राजस्व में खासी हानि होगी। मंडी व्यापारी भी इस समय असमंजस में हैं कि व्यापार मंडी का करें या बाहरी क्षेत्र का करें। इस पर फैसला नए सीजन में ही होगा।
सोयाबीन प्लांट मंडियों के नजदीक होने से किसान सीधे प्लांटों को भी सोयाबीन बेचने गए तो मंडियां पूरी तरह से सूनी हो जाएगीं। सूत्रों की मानें तो उज्जैन मंडी की सालाना आय 20 से 25 करोड़ रुपए मानी जाती है। अगर नई मंडियां चली तो यह घटकर आधी से भी कम रह जाएगी। उज्जैन में मक्सी रोड कृषि उपज व्यापार का जोन बनने जा रहा है। कुछ दुकानें खुल भी गई हैं। कुछ आैर खुल जाएंगी। प्रदेश की मंडियों को सुचारू रूप से चलाना है तो जानकारों की राय में मंडी शुल्क 50 पैसे करना होगा। इससे व्यापारी भी सहमत हो सकते हैं क्योंकि सुरक्षा का कवज तो मंडी में ही मिलता है और किसान के भुगतान की गारंटी भी मंडी में ही मिलती है।
नई व्यवस्था से व्यापारी, हम्माल, अफसर सभी में हलचल
कृषि मंडियों के व्यापारियाें, हम्माल, तुलावटी और कर्मचारी, अफसरों में नई व्यवस्था से हलचल और हडकंप है। स्थापित मंडियों में इंदौर मंडी प्रदेश की बड़ी मंडी मानी जाती है। सूत्रों की माने तो यहां 70 करोड़ रुपए सालाना मंडी शुल्क प्राप्त होता है जबकि सालाना खर्च 7 करोड़ रुपए के आसपास बताया जाता है। एक अनुमान के आधार पर 1400 करोड़ रुपए सालाना मंडी बोर्ड को मिलता है। अगर 50 फीसदी भी आवक मंडी में आई तो 700 करोड़ का राजस्व आसानी से मिलेगा। प्रदेश के 7 संभाग के आंचलिक कार्यालयों का खर्च करीब 14 करोड़ रुपए और मंडी बोर्ड मुख्यालय का करीब 15 करोड़ रुपए सालाना खर्च है।
कर 50 पैसे किया तो यह होगा फायदा
मंडी शुल्क 50 पैसे किया तो शत-प्रतिशत किसान और व्यापारी मंडी में ही व्यापार करेंगे। विकल्प के तौर पर मॉडल एक्ट की मंडियां रह जाएंगी। देश के अनेक राज्यों में मंडी शुल्क की दर सबसे कम है। कर्नाटक में 35 पैसे, महाराष्ट्र में 25 पैसे, राजस्थान में 50 पैसे, गुजरात में 50 से 75 पैसे शुल्क निर्धारित है। प्रदेश की मंडियों में करोड़ों रुपए का स्ट्रक्चर लगाया हुआ है। इससे मंडी का कारोबार चलता है। मंडियां बंद हुई तो यह सब बर्बाद हो जाएगा।
किसान बोले- अच्छे भाव मिलेंगे वहां बेचेंगे
किसानों के अनुसार मंडी नीलामी के दौरान मिलने वाले भाव पर ज्यादा भरोसा होता है। लखाहेड़ा के किसान मनोहरसिंह दरबार ने बताया सरकार का नया कानून आया है। सीजन में देखेंगे जहां अच्छे भाव मिलेंगे वहां बेचेंगे। उन्हेल के करणसिंह ने बताया किसानों को भाव अच्छे से अच्छे मिलना चाहिए। तौल बड़े कांटों पर और नकद भुगतान होना चाहिए। मॉडल मंडी में किसान की उपज का भुगतान आरटीजीएस से करना होता है। इसमें मंडियों का किसी भी प्रकार का दखल नहीं हाेता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/33MnH7C
0 Comment to "टैक्स 50 पैसे किया तो मंडियां कर सकती मॉडल एक्ट का मुकाबला"
Post a Comment