भोपाल के साथ 80 किमी रेडियस के 7 अन्य शहरों के कचरे की प्रोसेसिंग भी आदमपुर छावनी में होगी

आदमपुर छावनी में कचरे से बिजली बनाने के प्लांट की योजना फैल होने के बाद नए सिरे से डीपीआर तैयार की जा रही है। एक बार फिर अकेले भोपाल की बजाय 80 किमी रेडियस के सात अन्य शहरों को इसमें शामिल किया जा रहा है। यानी भोपाल के साथ बैरसिया, मंडीदीप औबेदुल्लागंज, सीहोर, आष्टा, इछावर और कोठरी का कचरा आदमपुर आएगा और यहीं उसकी प्रोसेसिंग होगी।
इस प्रोसेसिंग से बिजली बनाई जाए या देश के अन्य शहरों की तरह कम्पोस्ट यूनिट लगाई जाए। इस पर विचार जारी है। करीब चार साल पहले इन आठ शहरों के कचरे से आदमपुर छावनी में 21 मेगावाट
बिजली बनाने का प्लांट लगाने की योजना पर काम शुरू हुआ था। लेकिन बार-बार पॉलिसी में बदलाव के कारण पूरी योजना ठप हो गई।

सेग्रीगेशन की शर्त ने बदली टेक्नोलाॅजी
2016 में जब यह योजना बनी तब स्वच्छ भारत मिशन में कचरे के सोर्स पर सेग्रीगेशन की शर्त नहीं थी। अगले साल सोर्स पर सेग्रीगेशन की शर्त के कारण बिजली बनाने की टेक्नोलाॅजी बदलना पड़ी। यही नहीं इसी वजह से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का तरीका भी बदल गया। कंपनी भोपाल में व्यवस्था जमाती रही और आसपास के शहरों में कोई काम शुरू नहीं हुआ। इस बीच अन्य अड़चनों के कारण पिछले साल एस्सेल इंफ्रा ने प्रोजेक्ट से हाथ खिंच लिए।

पहले क्लस्टर व्यवस्था समाप्त
प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद नगरीय आवास एवं विकास विभाग ने कचरे की प्रोसेसिंग की क्लस्टर व्यवस्था को समाप्त कर दिया। कहा गया कि सभी निकाय अपनी व्यवस्था स्वयं करें। छोटे शहरों के लिए यह एक मुश्किल और महंगा काम है।
अब फिर लागू करेंगे
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि कचरे के निष्पादन की क्लस्टर व्यवस्था को फिर से लागू किया जाएगा। बड़े प्लांट लगाने से खर्चा कम आता है और प्लांट की रनिंग कॉस्ट भी निकल सकती है। कचरे से बिजली बनाना उचित है या कम्पोस्ट आदि इस पर विशेषज्ञों से रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद अगली कार्रवाई करेंगे।
मिलता है 1000 टन कचरा- 2016 में तैयार एक रिपोर्ट के अनुसार इन आठ शहरों में रोजाना 1000 टन कचरा निकलता है। अब इसकी आदमपुर में प्रोसेसिंग होगी।



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Waste processing of 7 other cities of 80 km radius along with Bhopal will also be done in Adampur Cantonment.


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