गोली भी खाना पड़ी तो खाएंगे, नहीं होने देंगे रेलवे का निजीकरण
रेलवे के निजीकरण को लेकर किए जा रहे प्रयासों को लेकर नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन लगातार विरोध दर्ज करा रही है। इसको लेकर यूनियन महामंत्री वेणु पी. नायर रेलवे मुख्यालय और रेलमंत्री से कई बार विरोध दर्ज करा चुके हैं। भुसावल मंडल स्तर पर भी मंडल अध्यक्ष पुष्पेंद्र कापड़े और सचिव आरआर निकम ने भी विरोध दर्ज कराया है। विरोध दर्ज करा रहे यूनियन पदाधिकारी और सदस्यों ने कहा- गोली भी खाना पड़ेगी तो खाएंगे। रेलवे का निजीकरण किसी भी हाल में नहीं होने देंगे।
मंडल अध्यक्ष पुष्पेंद्र कापड़े और सचिव आरआर निकम ने कहा कोविड-19 की आड़ में सरकार और रेल मंत्रालय द्वारा रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है। यह रेलवे और यात्रियों के हित में नहीं है। कोविड का दुरूपयोग कर इसके बहाने पूरे लॉकडाउन में ट्रैकमैन से भरपूर काम लिया। जगह-जगह ब्लॉक लेकर ट्रैक नए कर लिए गए। पुल-पुलियाओं का काम भी 80 प्रतिशत तक पूरा करा लिया। इस दौरान सोशल डिस्टेंस सहित कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कोई सावधानी नहीं रखी गई। देश के 400 स्टेशनों को भी निजी हाथों में सौंपा जाने वाला है। ये स्टेशन सबसे ज्यादा आमदनी वाले हैं। इनका निजीकरण किया गया तो व्यवस्थाएं निजी हाथों में चली जाएंगी। ट्रेन का किराया हवाई यात्रा की तरह हो जाएगा। अभी बुरहानपुर से भुसावल का किराया 50-60 रुपए तक लगता है। निजीकरण होने पर यात्रियों को इसके 200 से 300 रुपए तक चुकाना पड़ सकते हैं।
13 लाख कमर्चारियों को नौ लाख करने की योजना
यूनियन पदाधिकारियों के अनुसार रेलवे के 13 लाख कर्मचारियों को नौ लाख करने की योजना है। सभी विभागाें को भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है। कई विभागों में ठेकेदार काम कर रहे हैं। कारखाने और रेलवे की प्रीटिंग प्रेस भी निजी हाथों में सौंप दी गई है। कुछ कारखाने बंद कर दिए गए हैं।
भारतीय रेल 3 करोड़ 80 लाख यात्री करते हैं सफर
02 स्थान पर है रेलवे विश्व में
01 लाख 25 हजार किमी का ट्रैक
07 हजार 116 कुल स्टेशन
42 से 45 पैसा प्रति किमी का सफर
17 जोन व कुल 67 डिविजन
22100 ट्रेन रोजाना चलती हैं
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