भक्त रुके न भक्ति... शाही स्वागत

कोरोना संक्रमण की पाबंदियों के बीच महाकालेश्वर की श्रावण-भादौ की प्रमुख सवारी सोमवार को निकाली गई। मार्गों पर सजावट, आतिशबाजी, फूलों की बारिश जैसे नजारे ऑनलाइन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को भी लुभा गए। संक्रमण रोकने के लिए छोटा मार्ग तय किया था। नए रूट पर हरसिद्धि मंदिर भी है। श्रावण-भादौ की सभी सात सवारियां मंदिर के सामने से निकाली गईं। पहली बार ऐसा मौका था जब महाकाल की सभी सवारियां हरसिद्धि मंदिर के सामने पहुंची। हर सवारी में हरसिद्धि मंदिर और महाकाल मंदिर के पुजारियों ने दुल्हा-दुल्हन के परिवारों की तरह एक दूसरे का स्वागत किया। महाकाल मंदिर की ओर से देवी को चुनरी, सोलह शृंगार आदि भेंट किए गए और हरसिद्धि मंदिर की ओर से महाकालेश्वर को उत्तरीय, वस्त्र, फूलमाला आदि अर्पित किए गए। प्रमुख सवारी सातवीं सवारी थी, इसलिए इस सवारी को हर यानी महाकाल और सिद्धि यानी देवी के विवाह के सातवें फेरे के रूप में प्रस्तुत किया गया। हरसिद्धि मंदिर पर विवाह समारोह जैसी सजावट थी। महाआरती ने समां बांध दिया। इस नजारे को देखने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी उमाश्री भारती भी मौजूद थी।
रेड कारपेट, रंगबिरंगी पताकाएं, गुब्बारे

रेड कारपेट, रंगबिरंगी पताकाएं, गुब्बारे


इसके पहले महाकाल मंदिर के फूलों से सजे सभा मंडप में भगवान के चांदी के स्वरूप का पूजन किया गया। संभागायुक्त आनंद शर्मा ने सपत्निक पूजन किया। कलेक्टर आशीष सिंह व एसपी मनोजसिंह भी पूजन में शामिल हुए। इसके बाद स्वरूप को पालकी में विराजमान कर पालकी उठाकर सवारी रवाना की गई। शाम 4 बजे शुरू हुई सवारी परिसर में स्थित साक्षी गोपाल मंदिर पर रुकी। पहली बार यहां हरि-हर मिलन हुआ। पूरे सवारी मार्ग को रंग-बिरंगी ध्वजाओं, गुब्बारों, स्वागत द्वारों से सजाया गया था। रामघाट पर पूजन के बाद सवारी शाम करीब 6.45 बजे पहुंची। रामघाट पर राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंत्री तुलसी सिलावट व अन्य नेताओं ने पूजन किया।

पहली बार पांच स्वरूप एक ही रथ पर
सवारी में पहली बार भगवान के पांच स्वरूप एक ही रथ पर निकाले गए। पालकी में मनमहेश, हाथी पर चंद्रमौलेश्वर के अलावा रथ पर सप्तधान्य, घटाटोप, उमा-महेश, तांडव व होल्कर स्वरूप को विराजमान किया गया था। पिछली छह सवारियों में केवल दो ही स्वरूप निकाले गए। प्रमुख सवारी में सभी सातों स्वरूपों के दर्शन हुए। रामघाट पर प्रशासन ने ड्रोन से फूलों की बारिश कराई तो वहां मौजूद लोगों ने जयकारे लगाए। रामानुजकोट पर मैरिज गार्डन जैसी सजावट थी। पूरे मार्ग पर गुलाब बिछाए गए थे। सवारी के स्वागत में आतिशबाजी की गई। हरसिद्धि पाल पर धुएं से सड़क पर बादलों के उतर आने जैसा नजारा बनाया गया। पालकी के आसपास से जब सड़क पर धुआं छोड़ा तो लगा पालकी बादलों के बीच से निकल रही है।

साफे और माला से स्वागत
हरसिद्धि मंदिर पर मंदिर समिति के प्रशासक एसएस रावत और अन्य अधिकारियों का हरसिद्धि मंदिर के प्रबंधक अवधेश जोशी व अन्य ने साफे बांधे, मोती की माला पहना कर स्वागत किया। हरसिद्धि मंदिर के पुजारी राजू गोस्वामी व अन्य पहले से ही साफे बांध कर स्वागत के लिए तैयार थे।
अगली सवारी 16 नवंबर को
महाकाल की अगली सवारी नवंबर में कार्तिक मास में निकलेगी। 16 नवंबर को पहली, 23 को दूसरी सवारी निकलेगी। 28 नवंबर को हरिहर मिलन की सवारी निकलेगी। 30 नवंबर को तीसरी और 7 दिसंबर को चौथी सवारी निकलेगी।



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