अनंत चौदस पर न झांकियां न ही ताजियों का विसर्जन जुलूस; जैन समाज घरों मंे ही मना रहा हैं पर्यूषण पर्व

शहर में कोरोना संक्रमण होने से सोशल डिस्टेंस ही अब लोगों का धर्म बन गया है। इन दिनों हिंदू समाज गणेश उत्सव, मुस्लिम मोहर्रम और जैन पर्यूषण पर्व मना रहे हैं। कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में दूरी ही उत्सवों में धर्म बन गई है इसलिए किसी समाज द्वारा सामूहिक कार्यक्रम नहीं किए जा रहे हैं। वहीं जिला प्रशासन ने भी सार्वजनिक स्थानों पर गणेश स्थापना और ताजिया निर्माण प्रतिबंधित कर दिया है। पहली बार शहर में गणेश विसर्जन के दिन झांकियां नहीं निकलेंगी। वहीं ताजियों का भी विसर्जन समारोह नहीं होगा। जैन समाज भी घरों में ही पर्यूषण पर्व मना रहा है।

गणेश उत्सव के दौरान लोग एक-दूसरे से दूर रहें, इसलिए प्रशासन के निर्देश अनुसार इस बार सार्वजिक स्थानों पर प्रतिमा स्थापना नहीं की गई। कुछ गणेश उत्सव समितियों ने परंपरा कायम रखने के लिए मंदिरों में छोटी प्रतिमाएं स्थापित की। बड़ाबम चौक पर खंडवा के राजा 21 फीट ऊंचे नहीं हैं। छोटे स्वरूप में यह प्रतिमा दुर्गा माता मंदिर विराजित की गई है। समिति के विक्की बावरे, संतोष यादव, आशीष गुप्ता, पवन यादव, दिलीप यादव ने बताया कि हर साल बड़ी प्रतिमा के लिए 115 फीट लंबा और 50 फीट चौड़ा वाटरप्रूफ पंडाल 25 दिन में बनाते थे। 10 दिन में करीब पांच लाख रुपए खर्च होता था। यह राशि दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं और समिति सदस्यों द्वारा दान में दी जाती थी। इस समिति ने प्रतिमा स्थापना की और मंदिर में पुजारी आरती कर रहे हैं। इस दौरान प्रशासन द्वारा बताए नियमों का पालन भी किया जा रहा है। समिति सदस्य भी सीमित संख्या में ही पहुंच रहे हैं।

700 साल में पहली बार घरों में हो रही इबादत, इमामबाड़ों में रखेंगे ताजिया

शहर के इमामबाड़ों में ताजिया रखने का सिलसिला मुगलकाल से चला आ रहा है। मुगलकाल में 700 साल पहले खंडवा-बुरहानपुर शहर के इमामबाड़ों में ताजिया रखने के साथ ही सवारी व अखाड़ों के आयोजन साथ ही ताजियों का चल समारोह निकलता है, लेकिन इस साल कोरोना महामारी के चलते इमामबाड़ों में ही ताजिये रखे जाएंगे। ताजियादार हमीद पठान ने के मुताबिक लगभग सभी इमामबाड़ों में गत वर्ष के ताजिये रखे हुए हैं। मोहर्रम की 7 से 10 तारीख तक जियारत के लिए रखे जाएंगे। इस दौरान किसी भी प्रकार का कार्यक्रम नहीं होगा। ताजिया निकालने की अनुमति नहीं मिली है। सोमवार को मोहर्रम की 4 तारीख हो गई। अब तक लोग घरों में ही तिलावत कर शहादत इमाम हुसैन मना रहे हैं। खास बात यह है कि इस बार मुस्लिम बहुल मोहल्लों में ताशे बाजों की आवाज भी सुनाई नहीं दे रही है।

जैन मंदिर में सोशल डिस्टेंस के साथ आरती, लोग घरों में कर रहे पूजा-पाठ

शहर में पहली बार पर्यूषण पर्व के दौरान जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था नहीं की गई। यहां लोग न तो पाठ कर पा रहे हैं और न ही जाप। केवल आरती के समय सीमित लोग सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मंदिर में दिखाई दे रहे हैं। सुबह घरों में ही भगवान की फोटो रखकर भाव पूजा और पाठ-जाप कर रहे हैं। सोमवार को पर्व का दूसरा दिन मार्दव धर्म के रूप में मनाया। समाज के लोग तीन, पांच व दस उपवास की साधना करते हैं। श्री पोरवाड़ दिगंबर जैन समाज के ट्रस्टी प्रेमांशु जैन ने बताया कि सराफा के श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर में रोज सुबह 7 बजे पंडित निखिलेश जैन द्वारा शांति धारा की जा रही है। सुबह 6 से दोपहर 12 और शाम 5 से 9 बजे तक लोग सोशल डिस्टेंस के साथ दर्शन कर रहे हैं। मंदिर में पहले 150 लोग बैठकर नमोकार मंत्र का जाप और पाठ करते थे। बुजुर्गों के लिए 20 बैंच थी। अब टेबल-कुर्सी हटा दिए हैं। सोशल डिस्टेंस के साथ लोग दर्शन कर रहे हैं।



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Neither tableaux nor Tajis immersion processions at Anant Chaudas; Jain community is celebrating Paryushan in homes


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