कोरोना की आड़ में सरकार ने मजदूर व कर्मचारी विरोधी फैसले लिए : मलिक

भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ पर सीआईटीयू और सर्व कर्मचारी संघ ने अनाज मंडी में सत्याग्रह किया। इस सत्याग्रह में सरकारी विभागों में काम करने वाले कच्चे-पक्के कर्मचारी, मजदूर, ग्रामीण सफाई कर्मचारी, ग्रामीण चौकीदारों ने केंद्र व हरियाणा सरकार की कर्मचारी नीतियों के खिलाफ रोष प्रकट किया। सभा की अध्यक्षता संघ के खंड प्रधान सुभाष धीमान व मंच संचालन सीआईटीयू नेता रमेश कुमार नन्हेड़ा ने किया। सीआईटीयू के महासचिव वीरेंद्र मलिक व राज्य उपाध्यक्ष सविता मलिक ने कहा कि सरकार ने कोरोना की आड़ में जो मजदूर व कर्मचारी विरोधी फैसले लिए, उनके कारण गरीब आदमी का जीना दुश्वार हो गया है।

प्राइवेट क्षेत्र के मजदूर नौकरी व रहने की जगह छिन जाने के कारण सड़कों पर आ गए। सरकार ने अपने ही विभागों में कोरोना संकट के नाम पर हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। वित्तीय संकट के नाम पर कर्मचारियाें को मिल रहे वेतन, महंगाई भत्ते, एलटीसी में कटौती कर दी।

श्रम कानूनों को समाप्त किया गया : बख्तुआ

संघ के जिला प्रधान कमलजीत बख्तुआ ने कहा कि पूंजीपतियों के पक्ष में श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया गया है। उद्योगपतियों को मजदूरों के शोषण की खुली छूट मिल गई। मजदूरों के काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 कर दिए गए। जबकि रोजगार पैदा करने के लिए काम के घंटे 6 किए जाने चाहिए थे, ताकि और ज्यादा लोगों को रोजगार मिलने की संभावनाएं बनती। खंड सचिव सतनाम सिंह ने कहा कि संघ मांग करता है कि काेरोना के इस समय में जिस परिवार से कोई सरकारी कर्मचारी नहीं है उस परिवार को 6 माह तक मासिक 7500 रुपए सहायता दी जाए।



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