ग्वालियर में अटल जी के नाम पर न स्कूल, न सड़क और न ही संग्रहालय, सरकार ने नहीं ली सुध

ग्वालियर के सपूत पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति को स्थायी बनाए रखने के लिए न सरकार ने पहल की न राजनेताओं ने। देहांत के दो साल बाद भी ग्वालियर में न उनकी प्रतिमा किसी स्थल पर लगाई गई और न रोड या स्कूल-कॉलेज का नामकरण किया गया। उनके जीवित रहते हुए ट्रिपल आईटीएम इंस्टीट्यूट का नाम उनके नाम पर रखा गया और साडा के प्रवेश द्वार को अटल द्वार नाम दिया गया।

अटलजी चाहते थे ग्वालियर में बने विशाल हिंदी भवन: ग्वालियर में एक भव्य हिंदी भवन के निर्माण का सपना खुद अटल जी ने देखा था। इसके लिए ग्वालियर के सिटी सेंटर क्षेत्र में जमीन भी आवंटित हो गई लेकिन पूरे 16 साल बीतने के बाद भी न तो इस जमीन पर हिंदी भवन आकार ले सका और न ही अटल जी का सपना साकार हो पाया। जबकि उन्हें दिवंगत हुए ही दो वर्ष हो रहे हैं। 16 अगस्त को अटलजी की दूसरी पुण्यतिथि है।

ये है अटलजी के घर का जर्जर रास्ता
यह रास्ता कमल सिंह के बाग के बाहर का है। यहांं एक माह पहले पानी की नई लाइन डालने के लिए खुदाई शुरु हुई थी। इसी गली से अटलजी के पैतृक घर का रास्ता है।

हम नहीं कर पाए काम, जल्द लगवाएंगे प्रतिमा
ये बात सही है कि हम अटलजी का कोई स्मारक नहीं बना पाए और न मूर्ति स्थापित कर पाए हैं। लेकिन, उसके प्रयास जारी हैं। उचित स्थान मिलने पर उनकी आदमकद मूर्ति लगवाई जाएगी और एक स्मारक भी तैयार करेंगे। -विवेक शेजवलकर, सांसद



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In Gwalior, neither the school nor the road nor the museum in the name of Atal ji, the government did not improve


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