पीला मौजेक रोग नियंत्रण के लिए विभाग ने जारी की एडवाइजरी

खरीफ फसलो में कीट एवं रोग नियंत्रण के लिए किसानों को उप संचालक कृषि एसके श्रीवास्तव ने सलाह दी है कि खरीफ 2020 में टीकमगढ़ जिले में मूंग, सोयाबीन, उड़द फसलों में पीला मौर्जक एवं कीट व्याधि, गर्डल बीटल का प्रकोप शुरू हो गया, वहां पर थाइक्लोप्रीड 21.7 एस.सी. 650 मि.ली. प्रति हेक्टेयर अथवा ट्रायझोफॉस 40 ईसी 800 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

उन्होंने कहा कि फसलों की सतत् निगरानी करते हुए तम्बाखू की इल्ली अथवा बिहार की रोएंदार इल्ली के नियंत्रण के लिए बीटासायफ्लूथिऩइमिडाक्लोप्रीड 650 मिली प्रति हे. की दर से छिड़काव करें। जिले में खरीफ 2020 की फसलों पर पीला मौजैक का प्रकोप देखने हो रहा है।

जिला सलाहकार डॉ. राजीव सतसंगी ने बताया पीला मौजैक एक बायरस जनित रोग है। फसलों पर रोग का फैलाव सफेद मक्खी (बेमिसिया खेसाई) द्वारा होता है। इस रोग में सबसे पहले गहरे पीले रंग के कुछ विसरिग चित्तकबरे धब्बे दिखाई देते हैं, जो आकार में बढ़कर आपस में मिल जाते है, इस प्रकार पूरी पत्ती पीली हो जाती है और धीरे-धीरे पूरा प्रौध ही पीला हो जाता है।

इस रोग से ग्रसित पौधे में फूलों की संख्या कम हो जाती है और फलियां विकृत हो जाती है एवं इन फलियों में बने दाने कम संख्या में तथा सिकुडे़ हुए होते है तथा उन पौधों में फूल एवं फलियां स्वस्थ्य पौधों की अपेक्षा कम लगते है। पीला मौजैक से प्रभावित पौधा प्रारंभिक अवस्था में उखाड़कर मिट्टी में गाड़ दें। यह रोग वायरस से फैलता है तथा वायरस की कोई दवा नहीं है, ऐसी स्थिति में वायरस को फैलाने वाली सफेद मक्खी का नियंत्रण करने से पीला मौजैक से फसल को सुरक्षित किया जा सकता है।

सफेद मक्खी की रोकथाम के लिये इमीडाक्लोप्रिड का 750 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें अथवा ट्राइजोफास डेल्टामेथिन दवा 500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। अधिक जानकारी के लिये स्थानीय कृषि अधिकारी से संपर्क करें फसलों से संबंधित समस्याओं का निराकरण करें।



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