रात 3.30 बजे घर से बेटी को लेकर बाइक से निकले, 150 किमी का सफर तय कर पहुंचे, क्योंकि सरकारी बसें वापस भेजने के लिए 6-6 घंटे करा रहीं इंतजार

जेईई मेन का दूसरा दिन बच्चों के साथ अभिभावकों की परीक्षा का दिन रहा। शाजापुर के पास लोहारवास के जैन प्रकाश बौड़ को अपना सफर रात 3.30 बजे शुरू करना पड़ा, ताकि बेटी रचना को परीक्षा दिलवा सकें। उन्होंने बताया कि वह 150 किमी का सफर तय करके सुबह साढ़े 6 बजे इंदौर पहुंचे। सुबह 7 बजे रिर्पोटिंग टाइम था।
सफर मुश्किल जरूर था, लेकिन सरकार द्वारा दी जाने वाली मुफ्त की बस से आसान था। चूंकि मेरी बेटी मंगलवार को बीआर्क की परीक्षा देने सरकारी बस से आई थी। उसकी परीक्षा सुबह 12 बजे खत्म हो गई, लेकिन वो रात 10 बजे घर पहुंची, क्योंकि गाड़ी में दूसरे बच्चे भी थे जिनकी परीक्षा 6 बजे खत्म हुई। परीक्षा के बाद शाम तक गाड़ी में बैठी रही। इसलिए बाइक से लेकर आया।
व्हील चेयर भी नहीं...

दुर्गम रास्ते...

4 घंटे सफर में कटे...

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