झांकीबाज किंशुक ने दो कर्मचारियों के नाम आठ-आठ लाख का लोन लेकर हड़पी राशि
बड़नगर में प्रभारी सीएमओ कुलदीप किंशुक के ठिकानों पर हुई लोकायुक्त पुलिस की छापेमारी के बाद उससे जुड़े कई चौंकाने वाले राज खुल रहे हैं। ऐशो-आराम व लक्जीरियस लाइफ स्टाइल वाले सीएमओ किंशुक ने पक्ष-विपक्ष के कई नेताओं को सेट करते हुए पंचायत सचिव से यहां तक का सफर तय किया है। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि किंशुक का जो बिजनेस पार्टनर मुकेश परमार है, वह भी माकड़ोन सचिव रहते हुए ही संपर्क में आया था। फिर माकड़ोन नगरपरिषद बनने पर वहीं नाकेदार से प्रभारी सीएमओ बने और फिर भ्रष्टाचार का गठजोड़ कर धीर-धीरे यहां तक पहुंचे।
आलोट में पार्टनर मुकेश व उसकी पत्नी के नाम से तीन दुकानें खरीदने वाले किंशुक ने यहां सीएमओ रहते हुए दो अस्थायी कर्मचारियों के नाम से बैंक ऑफ बड़ाैदा से आठ-आठ लाख रुपए के लोन स्वीकृत करवाकर राशि खुद ने निकाल ली। शुरुआती दो-तीन किस्तें खुद ने भरीं लेकिन बाद में बंद कर दीं। कर्मचारियों के पास नोटिस पहुंचे तो उन्होंने सीएमओ रहे किंशुक को बताया लेकिन तब किंशुक ने यह कहते हुए आश्वस्त कर दिया था कि मैं हूं ना।
बाद में यहां से ट्रांसफर होकर बड़नगर चला गया और यहां कर्मचारी कर्ज के बोझ तले दब गए लेकिन सीएमओ की झांकीबाजी के आगे मुंह नहीं खोल पाए। अब जब किंशुक पर लोकायुक्त ने शिकंजा कस दिया तो कर्मचारी नाम ना छापने की शर्त पर खुलकर सारी जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2018 में सरकारी कामकाज के लिए दस्तावेज मांगे और हस्ताक्षर करवा लिए। इसके बाद बैंक से लोन स्वीकृत करवाकर राशि हड़प ली।
बारीकी से जांच होने पर खुलेंगी भ्रष्टाचार की कई परतें, सामने आएगा सच
किंशुक के नजदीकी रहे कुछ लोगों द्वारा दो साल में ही आलोट में मोटी काली कमाई करने के दावे किए जा रहे हैं। नगर में सीसीटीवी कैमरे लगाने से लेकर आई लव आलोट पाइंट हो अथवा संजय चौक पर विजय स्तंभ निर्माण और अन्य सौंदर्यीकरण के कार्यों में भी बड़े भ्रष्टाचार की बू आ रही है। संपूर्ण कार्यकाल की जांच में भ्रष्टाचार की कई परतें खुल सकती हैं। मामले में लोकायुक्त जांच अधिकारी निरीक्षक राजेंद्र परमार ने बताया किंशुक की कॉल डिटेल्स व अन्य गतिविधियों की जानकारी मिली है, जिसकी जांच की जा रही है। जल्द नए खुलासे होंगे।
राजेंद्र चौक पर दुकानें बनी नहीं उससे पहले खरीदी लीं, उनका निर्माण तो अभी 15 दिन पहले ही पूरा हुआ है
राजेंद्र चौक चौराहे पर जो दो दुकानें 29 लाख से ज्यादा कीमत में खरीदी थीं वे तो 15 दिन पहले ही तैयार हुई हैं। यानी निर्माण से पहले ही एक प्रस्ताव पारित करवाकर केवल जगह की नीलामी करवा दी और दुकानें ले लीं। यहां तो टीएनसीपी की शर्तों का उल्लंघन भी हुआ है। प्रस्तावित रोड की जगह दुकानें बनाकर खरीद लीं। बताया जा रहा है कि अलग-अलग नाम से अपनी व्यावसायिक फर्म बनाकर बिलों का भुगतान भी उसमें किया है। इसकी जांच लोकायुक्त ने शुरू कर दी है।
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