पुण्य कमाने के फेर में नर्मदा से खिलवाड़, जमकर फैला रहे गंदगी

तीन साल में एक बार अतिरिक्त माह का प्राकट्य होता है, इसलिए इसे अधिमास, मलमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। मान्यता है कि अधिमास में किए गए धार्मिक कार्यों का 10 गुना अधिक फल मिलता है। यही कारण है कि इन दिनों ग्वारीघाट में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। यहाँ पहुँचने वाले लोग पूजन-पाठ और दीपदान करते हैं और उसके बाद गंदगी वहीं तटों पर छोड़कर चले जाते हैं।

नर्मदा के तट गंदगी से अटे पड़े हैं। देखकर ही मन दु:खी हो जाता है, प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश के बावजूद नर्मदा तटों पर साफ-सफाई का खासा अभाव है, आलम यह है कि सुबह के पूजन के बाद निकले दोने, फूल, निर्माल्य, अगरबत्ती की पन्नियाँ सब कुछ शाम तक वैसे ही तटों का हिस्सा बने रहते हैं। यहाँ पहुँचने वाले श्रद्धालु पुण्य कमाने के फेर में नर्मदा तटों पर जमकर गंदगी फैला रहे हैं।



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Playing with the Narmada in order to earn merit, the dirt is spreading fiercely


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