हरियाली बढ़ाने के लिए अब निजी कंपनियों के सहारे वन विभाग; खाली वनभूमि को लीज पर लेकर प्लांटेशन करेंगी कंपनियां

(वंदना श्रोती) भोपाल समेत पूरे प्रदेश में करीब 95 लाख हेक्टेयर वन भूमि है। इनमें से 37 लाख हेक्टेयर भूमि पर जंगल नहीं है। इसी खाली जमीन काे जंगल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव वन विभाग ने तैयार किया है। इसके लिए वन विभाग अपनी खाली जमीन को 5 साल से 30 साल की लीज पर देगा। ये कंपनियां पौधरोपण स्थानीय वन समितियों के साथ मिलकर करेंगी। यहां पर उगने वाले जंगल की लकड़ियों की नीलामी के बाद मिलने वाली राशि का 60 फीसदी हिस्सा कंपनियां अपने पास रख सकेंगी और 40 प्रतिशत हिस्सा वन समितियों व वन विभाग को मिलेगा। विभाग के मुताबिक इसके दो फायदे होंगे, पहला- ग्रीन कवर एरिया बढ़ेगा और दूसरा- लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा।
वन विभाग हर साल तकरीबन 3-4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही पौधरोपण कर पता है। इसमें से औसत 35 प्रतिशत पौधे जीवित रह पाते हैं। कोराेना के चलते बने हालातों के मद्देनजर वनविभाग विदेश से लकड़ी आयात करने की जगह अब आत्मनिर्भर भारत की दिशा में काम करने की योजना बना रहा है। इस योजना के तहत वन विभाग ने अब खाली पड़ी वन भूमि निजी हाथों देकर ग्रामीणों, वन समितियों को रोजगार उपलब्ध कराएगा। वन क्षेत्र में पौधरोपण,तार फैंसिंग, सिंचाई की व्यवस्था का काम निजी कंपनियों के हाथ में रहेगा। यह केंद्र सरकार की योजना है। इसका प्रस्ताव तैयार हो चुका है। में शासन के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। भोपाल मे 437 वर्ग किमी में जंगल हैं। इनमें से 229 वर्ग किमी वनभूमि खाली है।
शर्त... व्यावसायिक गतिविधियां नहीं होगी वन भूमि पर
निजी कंपनियों को वन भूमि कुछ शर्तों के साथ पांच से तीस साल तक के लिए लीज पर दी जाएगी। इसपर केवल पौधरोपण कर जंगल तैयार किया जाएगा। इस भूमि पर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित नहीं हो सकेंगी। ऐसा करने वाली कंपनियों की लीज निरस्त कर दी जाएगी।
चिंता....भोपाल सहित प्रदेश के 25 जिलों में घटा ग्रीन कवर
फाॅरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल सहित 25 जिलों में ग्रीनरी घटी है। इसमें होशंगाबाद, सागर, सिवनी, इंदौर, जबलपुर, झाबुआ, खरगोन मंदसौर, मुरैना,अशोक नगर, बालाघाट, भोपाल, बुरहानपुर, दमोह, धार, गुना, हरदा, रायसेन, श्योपुर आदि शामिल हैं।
जिम्मेदार बोले- सालाना 3-4 लाख हेक्टेयर में ही होता है प्लांटेशन
ग्रीन कवर एरिया बढ़ाने पौधरोपण किया जाता है। इसके बावजूद हर साल प्रदेश में तीन से चार लाख हेक्टयर पर ही विभाग प्लांटेशन कर पाता है। प्रदेश में जंगल बढ़ाने के लिए निजी कंपनियों को शामिल किए जाने की योजना है। ये कंपनियां जंगलों में रहने वाले लोगों के साथ मिलकर पौधरोपण करेंगी। जंगलों की कटाई के बाद जो लाभ होगा उसका 60%हिस्सा रखेंगी।
बीबी सिंह, पीसीसीएफ कार्य योजना वन विभाग
यह है हकीकत....प्रदेश में 58 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही विकसित हैं जंगल
- 95 लाख हेक्टेयर वनभूमि है प्रदेश में
- 37 लाख हेक्टेयर खाली भूमि प्रदेश में
- 23% हिस्से में प्रदेश में हरियाली है
- 5 से 30 साल तक की लीज
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