140 में से 130 परिवारों ने गांव छोड़ा, बचे 10 के आत्मनिर्भरता मंत्र से पूरा गांव फिर आबाद

उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में दुर्गम पहाड़ों के बीच बसे उदखंडा गांव और यहां के लोगों ने आत्मनिर्भर बनने का असाधारण उदाहरण पेश किया है। तीन साल पहले तक बंजर जमीन के चलते 140 में से 130 परिवार पलायन कर गए थे, लेकिन गांव में बचे 10 परिवारों ने सबको वापस बुलाने की ठानी। सहकारिता समूह बनाया और सामूहिक खेती और डेयरी फार्मिंग शुरू की। इससे गांव के हर परिवार को सालाना 2 लाख रुपए की आमदनी हो रही है। यह बदलाव देख महानगरों से 45 परिवार गांव लौट आए हैं। 35 परिवारों के घर रेनोवेट हो रहे हैं, वे भी जल्द लौटेंगे। लौटने वाले अनुभवी लोगों कों गांव में काम दिया गया है। वहीं लॉकडाउन में बेरोजगार हुए युवा भी नौकरी पा चुके हैं। उदखंडा के बदलाव की शुरुआत 2017 में हुई। शेष|पेज 12 पर

गांव में सड़क तक नहीं थी। आंदोलन के बाद 2018 अंत में सड़क बनी। इसके बाद गांव वालों ने दूसरे शहरों में बसे परिवारों से सम्पर्क कर उन्हें लौटने के लिए समझाया। पांच लाख का चंदा इकट्ठा कर ‘हेंवल घाटी कृषि विकास स्वायत्त सहकारिता समूह’ बनाया। सामूहिक खेती की योजना तैयार की गई, जिसमें बंजर जमीन को खेती के लिए फिर तैयार करना था। इसके बाद समूह ने अदरक और मटर के बीज खरीदे और उन्हें खेतों में बोया। गांव में आठ परिवारों को बकरियां खरीद कर दी गईं और उनके लिए फार्म बनाए गए।

एक परिवार के लिए ढाबा भी खोला गया। अदरक और मटर की पहली फसल से समूह ने 9 लाख रुपए का मुनाफा कमाया, जो सभी में बांटा गया है।

गांव प्रधान विनोद कोठियाल बताते हैं कि लॉकडाउन में कई युवा बेरोजगार हुए, तो उन्होंने भी गांव का रुख किया। इन युवाओं में से कुछ को पांच हजार रुपए महीने की सैलरी पर खेतों की रखवाली के लिए रखा गया है। विनोद के मुताबिक, गांववालों ने तय किया है कि वे बाजार में कच्चा माल नहीं बेचेंगे बल्कि प्रोसेसिंग करेंगे। मसलन, अदरक का पाउडर, अचार, बकरी के दूध से बने प्रोडक्ट आदि। इसके लिए गांव में ही एक प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जा रहा है। गांव के लोगों की इन्हीं कोशिशों से उदखंडा आज उत्तराखंड का मॉडल गांव बन गया है।

रिटायर होकर लौटे तो काम मिला, सैलरी भी मिल रही

रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ऋषिराम कोठियाल उन लोगों में हैं, जो बड़े पदों से रिटायर होकर गांव लौटे हैं। वे अब परिवार सहित गांव लौट आए हैं। उन्हें सामूहिक खेती में देखरेख का काम मिला है। रिटायर्ड सिंचाई अधिकारी बीआर कोठियाल को भी जिम्मेदारी दी गई है। वहीं रत्नमणि कोठियाल को गोट फार्मिंग का इंचार्ज बनाया गया है। इन सभी को 5 से 10 हजार सैलरी दी जाती है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2IArg8a

Share this

Artikel Terkait

0 Comment to "140 में से 130 परिवारों ने गांव छोड़ा, बचे 10 के आत्मनिर्भरता मंत्र से पूरा गांव फिर आबाद"

Post a Comment