पाइपलाइन और सिस्टम के लीकेज रुकें तो पानी के बिल में नहीं करना पड़ेगा 50% का इजाफा

नगर निगम ने पानी का बिल 180 रुपए से बढ़ाकर 270 रुपए तक करने का प्रस्ताव तैयार किया है। 50 प्रतिशत तक की इस वृद्धि की वजह- पानी सप्लाई की बढ़ती लागत बताई गई है। लेकिन, जमीनी हकीकत यह है कि शहर में 380 छोटे-बड़े लीकेज हैं। इनसे सालभर में 50 करोड़ रु. का पानी बर्बाद हो जाता है। शहर में करीब एक लाख अवैध नल कनेक्शन हैं। यदि निगम इस मिस मैनेजमेंट को रोक ले तो शायद पानी की दरें बढ़ाने की जरूरत ही ना पड़े।

राजधानी में पानी सप्लाई के 4 स्रोत हैं- कोलार, बड़ा तालाब, नर्मदा और केरवा। कुल मिलाकर शहर में 48 करोड़ लीटर पानी रोज सप्लाई होता है। 150 लीटर प्रति व्यक्ति की जरूरत के हिसाब से यह 32 लाख आबादी के लिए पर्याप्त है, लेकिन 20 लाख आबादी को भी यह कम पड़ रहा है।

निगम 1000 ली. पर वसूलता है 14.30 रुपए... 9 करोड़ लीटर पानी रोज लीकेज में बर्बाद हो रहा है। इसकी कीमत 12.87 लाख है। ऐसे में सालभर में 47 करोड़ रुपए का पानी इन लीकेज में बह जाता है। अचानक होने वाले लीकेज में बहने वाले पानी को जोड़ें तो राशि 50 करोड़ तक पहुंच जाएगी।

ये अभी भी ट्यूबवेल पर ही निर्भर

  • चौक, मंगलवारा, करोंद जैसे कई इलाकों में नगर निगम आज भी ट्यूबवेल से पानी सप्लाई करता है।
  • कोलार, मिसरोद, भदभदा रोड, रायसेन रोड, बावड़ियाकलां की ज्यादातर कॉलोनी निजी ट्यूबवेल से पानी से लेती हैं।

कहीं आधे तो कहीं 8 घंटे सप्लाई

  • 8 घंटे तक सप्लाई- चार इमली, श्यामला हिल्स, 74 बंगला
  • 1 घंटे तक सप्लाई- बरखेड़ी, जहांगीराबाद, कोटरा सुल्तानाबाद, हर्षवर्धन नगर समेत आसपास के इलाके
  • 45 मिनट सप्लाई- तुलसी नगर, शिवाजी नगर, वैशाली नगर, साकेत नगर, होशंगाबाद रोड, बावड़ियाकलां
  • आधा घंटे सप्लाई- तलैया, मंगलवारा, चौक, ईदगाह हिल्स
  • 1 दिन छोड़ सप्लाई- शाहजहांनाबाद, कोहेफिजा

साल दर साल बढ़ता खर्चा
पाइपलाइन के मेंटेनेंस व टैंकर से पानी के परिवहन पर साल दर साल निगम का खर्चा बढ़ता जा रहा है। 3 साल में यह खर्चा दोगुने से भी अधिक हो गया है।

  • 2017-18 : 6.25 करोड़
  • 2018-19 : 7.00 करोड़
  • 2019-20 : 12.50 करोड़


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इन इलाकाें में पानी की बर्बादी का सिलसिला थमता ही नहीं


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