खुले में नहीं होगा निमाड़ उत्सव, संस्कृति विभाग का तर्क-यहां ऑडिटोरियम नहीं है
पर्यटन नगरी महेश्वर में निमाड़ उत्सव के 27 साल के इतिहास में ऐसा चौथी बार होगा जब निमाड़ उत्सव नहीं हो पाएगा। पिछले 7 साल में ऐसी परिस्थितियां बनी हैं, जिस कारण देश-प्रदेश में कला व संस्कृति को बढ़ावा देने वाला यह उत्सव नहीं हो पाया। कार्तिक पूर्णिमा पर होने वाला तीन दिनी उत्सव इससाल कोरोना संक्रमण में नहीं हो पाएगा। महेश्वर में ऑडिटोरियम की जरूरत फिर सामने आ गई।
कांग्रेस जनप्रतिनिधि बताते हैं उज्जैन में ऑडिटोरियम होने से वहां कालिदास समारोह की परंपरा बनी हुई है। वहां इससाल भी कार्यक्रम हुआ है। निमाड़ उत्सव भी मध्य प्रदेश के राजपत्र व सांस्कृतिक कैलेंडर में शामिल है। यहां भी सरकारी स्कूल परिसर में पर्याप्त प्रबंधों के साथ आयोजन होना चाहिए। संस्कृति विभाग कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। जिला प्रशासन ने तो इस दिशा में कोई तैयारी ही नहीं की। हरसाल महेश्वर में नर्मदा घाट पर यह उत्सव होता है। जिसमें निमाड़, प्रदेश व देशभर के कलाकार शामिल होते हैं। बैकुंठ चतुर्दशी पर हरसाल उत्सव की जगमग में खिला रहने वाला अहिल्यादेवी का किला अंधेरे में डूबा रहा। महिलाओं से दीपदान किया।
27 साल का इतिहास : 3 बार नाम बदला, दूसरी बार नहीं मनेगा उत्सव
1994 में कार्तिक पूर्णिमा पर निमाड़ उत्सव की शुरुआत तत्कालीन राज्यपाल मोहम्मद शफी कुरैशी व भजन गायिका अनुराधा पौडवाल की उपस्थिति में संस्कृति मंत्री डॉ. साधौ ने ही की थी। उत्सव की शुरुआत में चुनावी आचार संहिता के चलते 2013 में उत्सव नहीं हो पाया। जिला प्रशासन ने फरवरी 2014 में निमाड़ उत्सव की जगह महेश्वर उत्सव का आयोजन किया। 2016 में मुख्यमंत्री की नर्मदा यात्रा में कार्यक्रम को बदलते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। अब 2020 में चौथी बार निमाड़ उत्सव नहीं हो पाएगा। इस बार महामारी कोरोना के कारण उपजे हालात से स्थिति बनी है।
प्रक्रिया रुकी: 1 साल पहले पुरातत्व संग्रहालय के पास देखी थी जमीन
कांग्रेस सरकार में तत्कालीन संस्कृति मंत्री डॉ विजयलक्ष्मी साधौ ने 1 साल पहले निमाड़ कला केंद्र व ऑडिटोरियम के लिए प्रस्ताव बनवाया था। संस्कृति विभाग ने 30 करोड का बजट भी स्वीकृत किया। यहां तीन जगह में से पुरातत्व संग्रहालय के पास की जगह तय की गई। अहिल्या किला व नर्मदा घाट क्षेत्र में जगह की तलाश जारी थी कि सरकार नहीं रही। बाद में यह बात सामने आई कि सांस्कृतिक आयोजन के लिए प्राकृतिक व दार्शनिक स्थल चाहिए। हालांकि यह जगह आरक्षित कर ली गई है। आगे की प्रक्रिया फिलहाल ठंडे बस्ते में हैं। पूर्व मंत्री डॉक्टर विजयलक्ष्मी साधो का कहना है हमारी सरकार होती तो दोनों केंद्र बन गए होते।
जानें... ऐसे मिली उत्सव को अंतरराष्ट्रीय पहचान
2019 में अपने 26वें साल में मिस्र के सूफियाना कलाकारों ने प्रसिद्ध तनोरा नृत्य की प्रस्तुति से निमाड़ उत्सव की लोकप्रियता को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पहचान मिली है। मेडिटेशन शैली के इस नृत्य की मिस्र के कलाकारों ने प्रस्तुतियां देकर नृत्य को योग से जोड़कर प्रस्तुति दी।
खुले में उत्सव संभव नहीं : संचालक संस्कृति विभाग
^ निमाड़ उत्सव का आयोजन खुले में होता है। ज्यादा लोग शामिल होते हैं। वहां ऑडिटोरियम जैसी सुविधा भी नहीं है। कोरोना की परिस्थितियों में उत्सव होना संभव नहीं है।
-डॉ धर्मेंद्र पारे, संचालक कला एवं संस्कृति विभाग भोपाल
रिजर्व कराई है जमीन : पूर्व संस्कृति मंत्री साधौ
^ कांग्रेस सरकार ने ऑडिटोरियम व निमाड़ कला केंद्र के लिए 30 करोड़ का बजट स्वीकृत किया था। जगह आरक्षित कराई है। निमाड़ उत्सव शासन के कैलेंडर में है। कालिदास समारोह जैसा यहां भी प्रबंधों के साथ उत्सव होना चाहिए।
- डॉ विजयलक्ष्मी साधौ, पूर्व संस्कृति व पर्यटन मंत्री
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