बाजरा की 1.37 लाख मीट्रिक टन पैदावार, समर्थन पर 1.42 लाख मीट्रिक टन की खरीदी क्योंकि उप्र-राजस्थान से आया

उपचुनाव के चलते प्रदेश सरकार ने बाजरा का समर्थन मूल्य 2150 रुपए प्रति क्विंटल तय क्या किया, सोसाइटी संचालक और दलालों की चांदी हो गई। यह हम नहीं कहते, बाजरा उत्पादन और खरीदी के आंकड़े बोलते हैं। जिला प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, जिलेभर में 28 हजार 377 किसानों ने इस वर्ष अपने खेतों में बाजरा की पैदावार की। इन किसानों ने 62 हजार 349 हेक्टेयर रकबे का सत्यापन कराया। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो इतने रकबे में बाजरा का उत्पादन 1 लाख 37 हजार 167 मीट्रिक टन ( 20-22 क्विंटल प्रति हैक्टेयर) से अधिक नहीं हो सकता। इसमें भी 2 हजार 375 किसान 11 हजार 850 मीट्रिक टन (प्रति किसान 50 क्विंटल) बाजरा बेच ही नहीं सके। वहीं 5 हजार मीट्रिक टन बाजरा किसानों ने अपने मवेशियों व खुद के उपयोग के लिए बचा लिया।

कृषि मंडी रिकॉर्ड के अनुसार इतना ही बाजरा किसान सोसाइटियों पर खरीदी न होने की वजह से व्यापारियों को बेच आए। इसके बावजूद जिलेभर में 1.42 लाख मीट्रिक टन बाजरा की खरीदी हो गई, यानि उत्पादन, बचत व बाजार में बिक्री हुए बाजरा से 26 हजार 850 मीट्रिक टन अधिक। इसके पीछे वजह साफ है। सोसाइटी संचालकों से सांठगांठ कर दलालों व व्यापारियों ने राजस्थान व यूपी से 1300 से 1500 रुपए प्रति क्विंटल में बाजरा खरीदकर 2150 रुपए प्रति क्विंटल में सोसाइटियों पर बेच दिया। यानि प्रति क्विंटल कम से 500 रुपए का मार्जिन भी मानें तो इन लोगों ने 13 करोड़ 42 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा कमा लिया।

5 हजार मीट्रिक टन बाजरा मवेशियों के लिए बचाया
कृषि उपज मंडी समिति के आंकड़ों पर यकीन करें तो अक्टूबर व नवंबर माह में किसानों ने व्यापारियों को क्रमश: 30 हजार क्विंटल और 50 हजार क्विंटल यानि 8 मीट्रिक टन बाजरा खुले बाजार में बेच दिया। इसी प्रकार बाजरा उत्पादक 28 हजार किसानों ने अपने खुद खाने के लिए व मवेशियों को खिलाने के लिए 2-2 क्विंटल बाजरा भी बचाया होगा तो भी 50 हजार क्विंटल यानि 5 हजार मीट्रिक टन बाजरा खुद के खाने, मवेशियों के खिलाने के लिए बचा लिया।

प्रमुख सचिव ने कहा था- 5 के बाद भी होगी खरीद, अधिकारी बोले- बचे किसान बोगस होंगे
बाजरा खरीदी में गड़बड़ी को लेकर सबसे अधिक हंगामा मुरैना में हुआ। यहां खरीद केंद्रों पर बाजरा न तौलने की वजह से किसान सबसे अधिक परेशान रहे। मुरैना स्थित गल्ला मंडी में तो खरीद केंद्रों पर फायरिंग तक हो गई, अंबाह में किसानों को कई बार चक्काजाम करना पड़ा। इतनी मशक्कत के बाद भी 28 हजार 377 किसानों में से सिर्फ 26 हजार 2 किसान ही अपना बाजरा तुलवा सके। अकेले अंबाह में ही 800 से अधिक किसान अपना बाजरा नहीं बेच सके।

जिलेभर में 2 हजार किसानों के एवरेज से प्रति किसान 50 क्विंटल बाजरा की उपज कम कर दी जाए तो इस तरह 10 हजार मीट्रिक टन बाजरा सोसाइटियों पर पहुंच ही नहीं सका। इस मामले में जिला आपूर्ति नियंत्रक भीम सिंह तोमर का कहना है कि जो किसान टोकन लेकर 5 तारीख से पहले खरीद केंद्रों से चले गए या लौटकर ही नहीं आए, वह बोगस ही होंगे। यह हाल तब हैं जब खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई मुरैना में बोलकर गए थे कि अगर किसानों का बाजरा 5 तारीख तक नहीं खरीद सके तो इसके बाद भी खरीदेंगे।

इन 2 उदाहरण से जानिए किसानों की व्यथा
1. कैलारस क्षेत्र के गसतौली निवासी किसान रामदयाल धाकड़ ने 6 बीघा में 54 क्विंटल बाजरा का उत्पादन किया था। उन्होंने रजिस्ट्रेशन भी कराया लेकिन एन वक्त तक उनका बाजरा नहीं तुल सका। 5 दिसंबर यानि अंतिम तारीख तक भी सेवा सहकारी संस्था तिलोंजरी के संचालक रघुराज शर्मा ने यह कहकर किसान को लौटा दिया कि आपके मैसेज की तिथि खत्म हो गई हे। अब बाजरा नहीं तुलवा सकते।

2. तिंदोखर के किसान जितेंद्र सिंह सिकरवार ने 4 बीघा में 45 क्विंटल बाजरा पैदा किया था। वे जब अपना बाजरा बेचने के लिए पचोखरा सोसाइटी पर पहुंचे तो 5 दिसंबर यानि अंतिम तारीख थी। उनसे सोसाइटी संचालक ने कहा कि आपकी मैसेज की डेट निकल चुकी है। इसके बाद किसान मायूस होकर लौट आए। यहां बता दें कि ऐसे अकेले जितेंद्र ही नहीं बल्कि सैकड़ाें किसान हैं, जिनका बाजरा तौला ही नहीं जा सका।

200 मीट्रिक टन बाजरा पकड़ा, फिर भी बंपर खरीदी
मुरैना, अंबाह, पोरसा में यूपी और राजस्थान का बॉर्डर लगता है। इन इलाकों में समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीदी शुरू होने के बाद 500 क्विंटल से अधिक बाजरा अलग-अलग वाहनों से बॉर्डर से पकड़ा गया। वहीं अंबाह-पोरसा क्षेत्र में वेयर हाउस, गोदामों में व्यापारियों द्वारा भरकर रखे गए 1500 क्विंटल से अधिक बाजरा को सील किया जा चुका है। इसके बावजूद भी जिले में उत्पादित बाजरा से अधिक खरीदी समर्थन मूल्य पर कर दी गई यानि बाजरा खरीदी में सोसाइटियों से सांठगांठ कर दलालों ने 1300 से 1500 प्रति क्विंटल में बाजरा खरीदकर 2150 रुपए प्रति क्विंटल में सोसाइटियों पर बेच दिया।

2 हजार किसान बाजरा बेचने ही नहीं आए
जिले में 2 हजार से अधिक किसान टोकन लेने के बाद बाजरा बेचने ही नहीं आए। अब हम क्या करें। ऐसा लगता है कि यह किसान बोगस ही होंगे।
बीएस तोमर, जिला आपूर्ति नियंत्रक



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साेसाइटी के बाहर खड़े बाजरा से भरे ट्रैक्टर-ट्राॅली।


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