20 साल में 4 में से 2 मेयर विधायक रहे, भाजपा कर सकती है परहेज, कांग्रेस का फॉर्मूला अभी तय नहीं

अगले महापौर के लिए बुधवार को भोपाल में आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हुई। इंदौर और जबलपुर महापौर पद अनारक्षित और भोपाल ओबीसी महिला के लिए रहेगा। ग्वालियर में भी अगली महापौर महिला ही रहेगी। आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होते ही दोनों ही दलों में निगम चुनाव की हलचल शुरू हाे गई है।

इंदौर महापौर का पद अनारक्षित होने के बाद दोनों प्रमुख दलों में जो दावेदार सामने आ रहे हैं, वे या तो विधायक हैं या विधायक का चुनाव हारे हुए हैं। इसकी वजह ये है कि बीते 20 साल में सीधे इलेक्शन में चुने गए 4 में से दो महापौर विधायक ही रहे हैं। दोनों को भाजपा ने ही मौका दिया। इस बार कांग्रेस भी इस फाॅर्मूले को आजमा सकती है। हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इंदौर में कहा है कि ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन पार्टी की कोशिश होगी कि गैर विधायक महापौर का चुनाव लड़े। उधर, कमलनाथ भी बुधवार को शहर में थे, लेकिन उन्होंने इस विषय पर फिलहाल कोई बात नहीं की।

नगर पालिका आरक्षण

  • अनारक्षित- सारंगपुर, सिवनीमालवा, बेगमगंज, टीकमगढ़, नौगांव, पोरसा, अशोकनगर, डोंगर परासिया, कोतमा, सिहोरा, पसान, सीधी, बड़नगर, गंजबासोदा, नरसिंहगढ़, सिहोर, पीथमपुर, बड़वाह, सेंधवा, नरसिंहपुर, आगर, शाजापुर, दमोह, खाचरोद, उमरिया, गाडरवारा, अनूपपुर
  • महिला - बैतूल, विदिशा, राजगढ़, पिपरिया, पन्ना, खरगोन, गढ़ाकोटा, बालाघाट, नैनपुर, धनपुरी, महिदपुर, शिवपुरी, बैरसिया, मुलताई, देवरी, दतिया, गुना, वारासिवनी, चौरई, सौंसर, अमरवाड़ा, करेली, नीमच, अम्बाह, मंडीदीप, शुजालपुर
  • ओबीसी महिला - जावरा, छतरपुर, धार, सनावद, नेपानगर, आष्टा, ब्यावरा, हरदा, पांढुर्ना, श्योपुर कला, होशंगाबाद, रायसेन, मंदसौर
  • ओबीसी - सबलगढ़, सिरोंज, शहडोल, पनागर, राघोगढ़, जुन्नारदेव, मनावर, मैहर, सिवनी, मंडला, रहली, इटारसी
  • एससी महिला - दमोह, गोहद, सारणी, खुरई, गोटेगांव, नागदा, भिंड, हटा
  • एससी - मकरोनिया, डबरा, आमला, चंदेरी, बीना, लहार, महाराजपुर
  • एसटी महिला - अलीराजपुर, बड़वानी, बिजुरी
  • एसटी - झाबुआ, पाली, मलाजखंड

इंदौर मेयर के मायने; कैबिनेट मंत्री जितनी ताकत, स्वच्छता के बूते ग्लोबल पहचान

  • शहरी क्षेत्र के 8 विधानसभा क्षेत्रों में काम कराने के अधिकार। परिषद में 50 से 100 करोड़ के प्रोजेक्ट मंजूर कर सकते। ऐसे अधिकार सिर्फ कैबिनेट मंत्रियों को।
  • ...अब मेट्रो, मेट्रोपाॅलिटन सिटी, स्मार्ट सिटी जैसे बड़े प्रोजेक्ट। महापौर की रहती है इसमें अहम भूमिका।
  • इंदौर निगम का बजट 4842 करोड़ है, जो राजधानी भोपाल के निगम बजट से भी दोगुना है।
  • महापौर के पास 10 करोड़ के काम के अधिकार। सांसद 5 करोड़ और विधायक 1.80 करोड़ साल के ही काम करा सकते हैं।
  • देश का स्वच्छतम शहर, ग्लोबल पहचान, इंडस्ट्रियल व आईटी हब।

इंदौर का रण दलों की नीति- कतार से बचने नए नियम ला सकती है भाजपा, कांग्रेस के लिए वापसी ही चुनाैती
बीते चार-पांच चुनाव के लिहाज से भाजपा के लिए शहर में चुनौतियां कम हैं। सांवेर उपचुनाव की रिकॉर्ड जीत से आत्मविश्वास और बढ़ा है। ऐसे में सारे दावेदारों को पीछे कर लोकसभा चुनाव की तर्ज पर नया चेहरा लाकर भाजपा चौंका भी सकती है। वह 45 या 50 साल से ज्यादा उम्र वाले, विधायक और हारे उम्मीदवारों को टिकट न देने का फैसला भी ले सकती है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बुधवार को इसके शुरुआती संकेत भी दिए हैं।

दावेदारों की कतार बहुत लंबी है, जिनमें मौजूदा विधायक, पूर्व विधायक पदाधिकारी शामिल हैं। उधर, कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती 20 साल बाद नगर सरकार में वापसी की है। 1999-2000 में भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय करीब 1.30 लाख वोटों से चुनाव जीते थे। उसके बाद से अब तक कांग्रेस का महापौर बनना तो दूर, परिषद में पार्षदों की संख्या भी सम्मानजनक स्थिति में नहीं आ सकी है। कांग्रेस के पास पूरी तरह शहरी पांच सीटों में केवल एक ही विधायक है, लेकिन पार्टी ने अभी कोई फॉर्मूला तय नहीं किया है। दावेदारों की लंबी कतार यहां भी है।



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2 out of 4 mayors were MLAs in 20 years, this time BJP can avoid, Congress formula not yet decided


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