कहा- शिक्षण संस्थान बंद रहने से कॉलेजों में काम कर रहे 30 हजार लोग होंगे बेराेजगार

मध्यप्रदेश में काॅलेज और स्कूलों में अभी ताले डले हुए हैं। इसके चलते शिक्षा जगत बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इसको लेकर एसोसिएशन ऑफ टेक्नीकल प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट (एटीपीआई) ने प्रदेशभर के प्रोफेशनल कॉलेजों को खाेलने की मांग सरकार से की है। एटीपीआई के चेयरमैन केसी जैन और सचिव अनुपम चौकसे के नेतृत्व में कॉलेज संचालकों ने गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात की और कॉलेज खाेलने की दिशा में कार्रवाई करने की मांग की है।
मंत्री ने इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से एटीपीआई की ओर से चर्चा करने का आश्वासन दिया है। एटीपीआई ने उन्हें मुख्यमंत्री के नाम का मांग पत्र भी सौंपा है। इसमें कहा है कि इससे छात्रों की सही ढंग से पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
बल्कि प्रदेशभर के निजी तकनीकी कॉलेजों में कार्यतर 30 हजार फैकल्टी व नॉन टीचिंग स्टाॅफ की नौकरी पर संकट आ गया है। भविष्य में कई कॉलेज भी बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे। इसमें कहा है कि टेक्निकल एजुकेशन इंस्टीट्यूट अभी भी नहीं खुलते हैं तो इसका प्रदेश के छात्र-छात्राओं पर भविष्य में नकारात्मक असर पड़ेगा। अभी ठीक से पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
एजुकेशन इंस्टीट्यूट छोड़ अब सबकुछ खुल गया
एटीपीआई ने कहा कि 8 महीने से शिक्षण संस्थान कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं और कॉलेज बंद कर रखे हैं। तीन महीने में राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों को देखते शिक्षण संस्थाओं को छोड़कर सभी गतिविधियां अनलॉक कर दी हैं। बाजार, होटल, कारखाने, शादी, पार्टियां, आमसभाएं, सिनेमा आदि एसओपी का पालन करते हुए खुल चुके हैं। ऐसे में कॉलेजों को भी खोलने की मंजूरी दिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन आसानी से कराया जा सकता है।
गाइडलाइन हो चुकी जारी
कोषाध्यक्ष डॉ. अजीत सिंह पटेल का कहना है कि यूजीसी और एआईसीटीई ने कॉलेज री-ओपन करने की गाइडलाइन जारी कर दी है। इसके बाद भी प्रदेश में कॉलेज नहीं खुलने से सबसे अधिक नुकसान छात्रों का है।
छात्रों का नुकसान ज्यादा
कॉलेज नहीं खुलने से छात्रों का नुकसान ज्यादा है। तकनीकी शिक्षण संस्थाएं आर्थिक रूप से प्रभावित हुई हैं। छात्रों द्वारा न के बराबर फीस जमा की गई है। वहीं प्राॅपर्टी टैक्स, लीज रेंट, बिजली बिल का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। स्टाफ को वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। उनकी नौकरी पर संकट है।
केसी जैन, चेयरमैन, एटीपीआई
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