-80 और -20 डिग्री के डीप फ्रीजर का इंतजार, कोवैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल अटका

कोरोना की कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल प्रोजेक्ट में सिलेक्शन के 12 दिन बाद भी गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में आईसीएमआर और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल शुरू नहीं हो सका है। इसकी वजह- ट्रायल में शामिल होने वाले वॉलेंटियर के सुआब के आरटीपीसीआर सैंपल सुरक्षित रखने के लिए माइनस 80 डिग्री सेल्सियस का डीप फ्रीजर नहीं होना है। वहीं, भानपुर स्थित निजी अस्पताल में भी तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल रफ्तार नहीं पकड़ सका है।

जीएमसी डीन डॉ. अरुणा कुमार ने बताया कि भारत बायोटेक इंटरनेशनल की टीम ने क्लीनिकल ट्रायल साइट का निरीक्षण किया था। तब टीम ने ट्रायल साइट में जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड करने की सलाह दी थी।

वायरोलॉजी लैब के दो डीप फ्रीजर में स्पेस रिजर्व
डॉ. कुमार ने बताया कि माइनस 80 और माइनस 20 डिग्री के तापमान वाले डीप फ्रीजर के खरीदी आदेश जारी कर दिए हैं। अगले एक सप्ताह में दोनों डीप फ्रीजर जीएमसी में कोवैक्सीन की बनी क्लीनिकल ट्रायल सेंटर में इंस्टॉल हो जाएंगे। डीप फ्रीजर नहीं होने के कारण ट्रायल की शुरुआत करने वायरोलॉजी लैब में इंस्टॉल माइनस 80 और माइनस 20 डिग्री के तापमान वाले डीप फ्रीजर में स्पेस रिजर्व किया है।

ट्रायल में जीएमसी कैटेगरी-2 का सेंटर है
डीन डॉ. कुमार के मुताबिक तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में सेंटर्स को 3 कैटेगरी में बांटा गया है। जीएमसी कैटेगरी-2 लेवल का सेंटर है, जबकि निजी अस्पताल कैटेगरी-1 का ट्रायल सेंटर है। कैटेगरी- 1 में शामिल सेंटर पर होने वाली ट्रायल में वैक्सीनेशन के बाद वॉलेंटियर की सेहत में होने वाले बदलावों की जानकारी फोन कॉल करके ली जाती है, जबकि लेवल-2 के सेंटर पर वैक्सीनेशन में शामिल वॉलेंटियर की सेहत में होने वाले बदलावों और उनकी मेडिकल जांच, क्लीनिकल साइट पर बुलाकर की जाती है।



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गांधी मेडिकल कॉलेज (फाइल फोटो)


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