बुंदेलखंडी लोकनृत्य ‘दिवारी’ की प्रस्तुति पर झूम उठे दर्शक; अंतरराष्ट्रीय खजुराहो फिल्म महोत्सव की पांचवीं शाम रहीं स्थानीय कलाकारों के नाम

6वें अंतरराष्ट्रीय खजुराहो फिल्म महोत्सव की पांचवीं शाम का आगाज छतरपुर की नृत्यांगना नम्रता पटेल की शानदार नृत्य प्रस्तुति से हुआ। महोत्सव मुक्ताकाशी मंच पर पांचवीं शाम मंगलाचरण के बाद पहली प्रस्तुति छतरपुर की नन्ही नृत्यांगना नम्रता पटेल की हुई। नम्रता ने “ये चांद तेरा दीवाना’’ गाने पर बेहतरीन नृत्य पेश किया। नृत्य पर उनकी भाव भंगिमा, हस्त-पाद चालन और अंग प्रत्यंग की थिरकन ने कला प्रेमियों को झूमने पर मजबूर कर दिया। दर्शकों ने तालियां बजाकर इस नन्ही कलाकार का उत्साह वर्धन किया। नम्रता ने बताया कि जिन्होंने माही सोनी को नृत्य सिखाया, मैंने भी उन्हीं गुरु जी से नृत्य सीखा है।

दूसरी प्रस्तुति मुंबई के रोहन ग्रुप की रही। कलाकारों ने एक एक फोक डांस पेश कर खूब तालियां बटोरीं। इसके बाद अभिनेता, गायक, गीतकार-संगीतकार पीयूष मिश्रा मंच पर आए, तो दर्शकों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया। उन्होंने खुद हारमोनियम प्ले करते हुए एक क्लासिकल गीत सुनाया। पांचवीं प्रस्तुति लोक नाट्य कला संस्थान खजुराहो के ग्रुप की रही। इस ग्रुप के कलाकारों का दिवारी नृत्य देख सैकड़ों दर्शक झूमने लगे।

इंटरव्यू- खजुराहो फिल्म महोत्सव, यहां के मंदिरों की तरह फेमस होगा: पीयूष मिश्रा
अभिनेता, लेखक, गायक व संगीतकार पीयूष मिश्रा अंतरराष्ट्रीय खजुराहो फिल्म महोत्सव में शामिल होने खजुराहो आए। उन्होंने अपने फिल्म कैरियर को लेकर कहा कि फिल्मी दुनिया का सफर संघर्ष भरा रहा है। उन्होंने बताया कि मेरा जन्म ग्वालियर में हुआ। मैं थियेटर और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली के रास्ते मुंबई मायानगरी पहुंचा। दर्जनों फिल्मों में काम किया, उनके लिए कहानी गीत लिखे, गाए, संगीत दिया। पीयूष मिश्रा ने कहा कि नाटकों में किया गया मेरा काम काफी सराहा गया और थियेटर ने ही मुझे फिल्म एक्टर बनाया।

थियेटर में काम करने का मजा ही कुछ और है। जहां खुद के कलाकार को जीवंत रखना पड़ता है और मंच पर जीवंत दिखना पड़ता है। खजुराहो फिल्म महोत्सव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर राजा बुंदेला ऐसे ही लगे रहेंगे जैसे अभी खजुराहो फ़िल्म महोत्सव का नाम मंदिरों की तरह फिल्म के लिए भी जाना जाएगा।



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खजुराहो| दिवारी नृत्य पेश करते खजुराहो के कलाकार।


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