बच्चों के घर पहुंचने की जगह बीईओ कार्यालय में ही रखी रह गईं किताबें

सरकारी स्कूलों के बच्चों को मिलने वाली किताबें कोरोना काल में उन तक नहीं पहुंच पाई। यह किताबें बीईओ-बीआरसी भवन में जगह-जगह रखी हुई हैं। कुछ जगहों पर तो यह बच्चों को दे दी गई लेकिन ज्यादातर स्कूलों में इनका वितरण नहीं हो पाया। कोरोना काल में स्कूल भले ही बंद हों लेकिन बच्चों को उनके घरों पर पढ़ाने का प्रोग्राम तो चल ही रहा है। वहीं कई बच्चे ट्यूशन या खुद ही किताब पढ़कर किसी तरह शिक्षा की धारा से जुड़े रहना चाहते हैं। पर अगर किताबें ही नहीं पहुंचेंगी तो पढ़ाई कैसे होगी।

व्हीलचेयर भी रखी-रखी खराब हो गई
निशक्तों के लिए खास तरह के जूते, व्हीलचेयर और ट्राइसिकल भी इसी तरह बर्बाद हो रही हैं। बाथरूम में बैटरी से चलने वाली ट्राइसिकल भरी हुई थीं। यह सब अब किसी काम के नहीं बचे।

कुछ किताबें बाद में आईं थी वे ही रह गई
हमने किताबें बंटवा दी हैं। कुछ ही बची होंगी। यह किताबें बाद में आईं थी। कोर्स बदलने की वजह से इन किताबों को बाद में भेजा गया था। इसलिए वे नहीं बंट पाई होंगी। शिक्षकों से कहा है कि वे इन किताबों को अपने साथ ले जाएं।
- मीनाक्षी सोनी, बीईओ बमोरी



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Books were left in the BYO office instead of the children reaching home


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