डॉक्टरों को क्लीन चिट, कहा-रैफर के बाद भी परिजनों ने जबलपुर ले जाने से मना किया

शहडोल में जिन आठ नवजात बच्चों की मौत हुई है, उनके इलाज से जुड़ी केस फाइल को सीज कर लिया गया है। इसकी पड़ताल शासन स्तर पर होगी। इस बीच सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के सीनियर डॉक्टरों डॉ. पवन घनघोरिया और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अखिलेंद्र सिंह परिहार की टीम ने अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. संजय गोयल को भेज दी है। डॉ. गोयल ने इसे नेशनल हेल्थ मिशन की एमडी छवि भारद्वाज के सुपुर्द किया है। इस रिपोर्ट में डॉक्टरों को क्लीन चिट देने के साथ ही कहा गया है कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उन्हें जबलपुर रैफर किया गया था, लेकिन उनके परिजनों ने ले जाने से मना कर दिया। डॉक्टरों ने इलाज में कोई कमी नहीं की।

आधे लोग ही काम कर रहे : सीएमएचओ
एसएनसीयू और पीआईसीयू में 20 बेड हैं, जिसमें 14 लोगों की पोस्ट है। सिर्फ 6 ही काम कर रहे हैं। 8 पद रिक्त हैं। जहां तक डॉक्टरों का सवाल है तो मेडिकल कॉलेज के 2 असिस्टेंट प्रोफेसर और 4 रेजीडेंट डॉक्टर सहयोग कर रहे हैं। ये सभी क्वालिफाइड हैं।

गोयल ने कलेक्टर-सीएमएचओ से बात की
स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. गोयल ने बुधवार को कलेक्टर सतेंद्र सिंह और सीएमएचओ डॉ. राजेश पांडे से बात की। साथ ही कहा कि डॉक्टरों की कमी है तो तुरंत बताएं। बताया गया कि शहडोल मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग के छह डॉक्टर मदद कर रहे हैं। गोयल ने कहा कि प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक डॉक्टरों ने इलाज में कोई कमी नहीं की है।

हर रोज हुई एक बच्चे की मौत
जिला चिकित्सालय में औसतन हर दिन एक बच्चे की मौत हुई है। नवंबर में एसएनसीयू में 190 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें से 24 की मौत हुई है। इसी तरह पीआईसीयू में सात बच्चों का निधन हुआ। आठ बच्चों की मौत तो हाल ही में 6 दिन भीतर मौत हुई है। अस्पताल के 8 में से 7 शिशुरोग चिकित्सकों के पद खाली हैं। व्यवस्था के नाम पर मेडिकल कॉलेज के मेडिकल कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. निशांत प्रभाकर को एसएनसीयू एवं पीआईसीयू का प्रभारी बना रखा है और इनके साथ मेडिकल कॉलेज के ही 4 सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर्स व एक कंसलटेंट डॉक्टर को अटैच कर रखा है।



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फाइल फोटो


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