मानव अधिकार दिवस पर सहरिया समुदाय के अधिकारों के लिए लगाए नारे, कहा- कई परिवारों के दावे सालों से लंबित

मानव अधिकार दिवस पर एकता परिषद ने सहरिया समुदाय की समस्याओं के लिए प्रदर्शन किया। कलेक्टोरेट पहुंचकर नारेबाजी की और मांगों का ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा।

एकता परिषद के सदस्यों ने बताया कि वन अधिकार अधिनियम के तहत 15 दिसम्बर 2015 से पूर्व से वनभूमि पर काबिज आदिवासियों को अधिकार पत्र वितरण किया जाना है लेकिन कानून को लागू हुए 12 साल हो गए पर ग्वालियर चंबल संभाग के विभिन्न जिलों मेें सैकड़ों परिवारों के व्यक्तिगत दावे सालों से लंबित हैं। जिन पात्र परिवार के दावे अब तक दर्ज नहीं किए गए उन्हें नए व्यक्तिगत दावे मानकर स्वीकार नहीं किया जा रहा। जिन परिवारों के आवासीय आवेदन दर्ज हैं उन्हें तत्काल आवास उपलब्ध कराए जाएं। सहरिया महिलाओं को सरकार की घोषणानुसार जो कुपोषण की राशि प्रदान की जा रही है उसमें काफी अनियमितता व असमंजस की स्थिति है।

जिले के कुछ ब्लॉक के कई गांवों में एक साथ पांच-पांच महीने की राशि महिलाओं के खातों मेें डाली गई है तो कुछ ब्लॉक में डाली ही नहीं गई। गांव में रहने वाले कई अति जरूरतमंद सहरिया समाज के परिवारों के राशन कार्ड बनाने में अनावश्यक देरी की जा रही हैै। कोरोना के दौरान अपने दूसरे राज्यों के विभिन्न स्थानों से लौटे प्रवासी मजदूरों की स्थिति को देखकर यह आवश्यक हो गया है कि नियमानुसार प्रत्येक पंचायतों में प्रवासी मजदूरों से संबंधित रजिस्टर रखा जाए। इससे गांव, पंचायत से पलायन करने वाले मजदूरों की जानकारी दर्ज हो।



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ज्ञापन देने कलेक्टोरेट पहुंचे एकता परिषद के सदस्य।


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