बदलाव लिखने को एक डायरी मिली थी, लेकिन उस पर अब तक कुछ नहीं लिखा: वाॅलंटियर

बाॅयोटेक और आईसीएमआर की कोवैक्सीन के ट्रायल में शामिल वाॅलंटियर पहले की तरह नॉर्मल लाइफ जी रहे हैं। अब न कोई डर है, न ही कोई तनाव, बल्कि उनके प्रति लोगों में सम्मान बढ़ा है। हालांकि काेविड-19 की गाइडलाइन का वे पालन कर रहे हैं। डॉक्टर्स लगातार संपर्क में हैं। वे शरीर में बदलाव हाेने सहित स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मांगते हैं। डायरी मिली है, लेकिन किसी भी तरह का बदलाव नहीं देखा, इसलिए उसमें किसी तरह का नोट भी नहीं लिखा है।

वॉलंटियर दुखी, बोले- उनके प्रति लोगों में सम्मान तो बढ़ा, लेकिन ट्रायल में शामिल होने के लिए आगे नहीं आ रहे
जो दोस्त मेरे साथ हॉस्पिटल तक नहीं गए, अब वही तारीफ करते हैं

23 वर्षीय विवेक घर के इकलौते बेटे हैं। वे माता-पिता की मंजूरी से इस ट्रायल में शामिल हुए। विवेक ने बताया कि परिजनों के अलावा सभी ने हौसला बढ़ाया। अन्य लोगों का भी मेरे प्रति सम्मान बढ़ा है, लेकिन इस बात से दुखी भी हूं कि अभी भी लोग ट्रायल में शामिल होने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। जब मैंने खुद वैक्सीन के ट्रायल में शामिल होने के लिए अपने दोस्तों से हॉस्पिटल तक ले जाने और घर तक पहुंचाने के लिए मदद मांगी तो उन्होंने मना कर दिया। उन्हें कोरोना होने का डर सता रहा था, लेकिन अब दोस्त हों या अन्य जानने वाले सभी तारीफ करते हैं।

किसी तरह का कोई परहेज नहीं बताया था, सब कुछ नॉर्मल है
भानपुर की पटेल कॉलोनी निवासी शिक्षक संतोष कौरव ने बताया कि वैक्सीन लगवाने के बाद से अब तक किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं है, बल्कि पहले से अच्छा महसूस कर रहा हूं। कोरोना संक्रमण का जो डर मन में था, वह भी बाहर निकल गया है। किसी तरह का कोई परहेज नहीं बताया था। सब कुछ नॉर्मल है। पहले उन्होंने अपनी बुजुर्ग माता काे जानकारी नहीं दी थी, लेकिन अब उन्हें भी बता दिया है। अन्य जानने वाले लोगों को पता लग रहा है तो वे भी खुश हैं। मेरे बाद मेरे एक अन्य दोस्त ने भी वैक्सीन लगवाया है। अन्य दोस्तों ने भी इसके लिए इच्छा जताई है।

हॉस्पिटल से लगातार फीडबैक ले रहे हैं, किसी तरह की पाबंदी नहीं
एक अन्य महिला वॉलंटियर ने बताया कि वैक्सीन लगवाने के बाद अभी तक कोई बदलाव महसूस नहीं हुआ है। बिना तनाव के वैक्सीन ट्रायल में शामिल हुई। अभी भी सामान्य हूं। हॉस्पिटल की तरफ से भी लगातार फीडबैक लिया जा रहा है। किसी भी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। खानपान में भी किसी तरह का कोई परहेज रखने को नहीं कहा गया है। सभी का सपाेर्ट है। खुद भी अच्छा महसूस कर रही हूं। मेरे पति भी वैक्सीन ट्रायल में शामिल होना चाहते थे, लेकिन वे कोरोना पॉजिटिव थे। इसलिए उनको वैक्सीन नहीं लग सका।

वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिक भी इंसान हैं, भरोसा करें
सफल और अच्छे परिणाम के लिए आगे आएं लोग -

वॉलंटियर का कहना है कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिक भी इंसान हैं। ट्रायल का थर्ड फेज चल रहा है, इसलिए अब वक्त है कि एक इंसान दूसरे इंसान (वैज्ञानिकों) पर भरोसा करे। भरोसा कर आगे नहीं आए तो सफल और अच्छे परिणाम सामने आने की उम्मीद भी नहीं की जा सकती। टीका लगवा चुके वॉलिंटियर का कहना है कि उन्होंने दैनिक भास्कर में ही खबर पढ़ी है कि भोपाल में 45 लोग ही टीका लगवाने पहुंचे। यह निराश करने वाली बात है।

ट्रायल में वॉलंटियर बनने के लिए मैं खुद भी तैयार हूं: मिश्रा
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि वे खुद कोरोना कोवैक्सीन के ट्रायल में वॉलंटियर बनने को तैयार हैं। यह बात उन्होंने मीडिया से चर्चा के दौरान ट्रायल के लिए भोपाल में कम वॉलंटियर मिलने के सवाल के जवाब में कही। उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में डॉक्टरों से भी बात करेंगे। हम जैसे लोग वैक्सीन के लिए आगे आएंगे, तभी दूसरे लोग भी प्रेरित होंगे।



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प्रतीकात्मक फोटो


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