कान्हा के परसाटोला में छह हाथियों की मदद से ट्रेंक्यूलाइज कर पकड़ा, पैरों में डाली बेड़ियां, अब बनना होगा पालतू

कान्हा के परसाटोला में रविवार को राम हाथी का रेस्क्यू किया गया। शनिवार को उसका लोकेशन परसाटोला में मिला था। तीन दिसंबर को राम हाथी कान्हा के सरही परिक्षेत्र में प्रवेश किया था। तब से टीम लगातार उसका पीछा कर रही थी। रविवार को छह हाथियों की मदद से उसे ट्रैस किया गया। इसके बाद ट्रेंक्यूलाइज कर उसके पैरों को जंजीर से बांध दिया गया। सोमवार को उसे फिर से ट्रेंक्यूलाइजकर ट्रक की मदद से किसली लाया जाएगा। जहां उसे पालतू बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।

तीन दिसंबर को किया था कान्हा के बफर जोन में प्रवेश
जानकारी के अनुसार राम हाथी जबलपुर से मंडला जिले के वनक्षेत्र से गुजरते हुए तीन को कान्हा टाइगर रिजर्व के बफर जोन में पहुंचा। उसने वनमंडल के अंतर्गत सिझौरा परिक्षेत्र के मोहगांव के पास से कोर जोन के सरही परिक्षेत्र में प्रवेश किया। पेंच टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर विक्रम सिंह परिहार और कान्हा टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर एसके सिंह की अगुवाई में टीम रेस्क्यू में लगी थी। डिप्टी डायरेक्टर कान्हा रविंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि चार दिसंबर को राम हाथी के पग मार्क परसाटोला वनक्षेत्र में मिला। हालांकि हाथी का प्रत्यक्ष दर्शन न होने से उसे पकड़ा नहीं जा सका।
रविवार को फिर मिला पगमार्क
रविवार को राम हाथी का पग मार्क फिर परसाटोला में मिला। इसके बाद कान्हा के छह पालतू हाथी की मदद से उसकी तलाश शुरू हुई। सुबह 11 बजे के लगभग टीम को हाथी परसाटोला में ही दिखा। शाम पौने चार बजे वन्यप्राणी चिकित्सक डॉक्टर संदीप अग्रवाल और डॉक्टर अखिलेश मिश्रा ने उसे ट्रेंक्यूलाइज किया। लगभग आधे घंटे उसकी गतिविधियों पर नजर रखी गई। जैसे ही यह सुनिश्चित हुआ कि वह ट्रेंक्यूलाइज की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। टीम ने उसके पैरों को जंजीरों में जकड़ दिया।
ये होता है ट्रेंक्यूलाइज के लक्षण
हाथी ट्रेंक्यूलाइज हुआ या नहीं। यह उसके लक्षण देखकर पता चलता है। ट्रेंक्यूलाइज होने के बाद हाथी 100-200 मीटर ही जा पाता है। इसके बाद वह खड़ा हो जाता है। सूंड का हिलना बंद हो जाता है। खड़े-खड़े खर्राटे भरने लगता है। आधे घंटे तक इसी तरह दिखने के बाद टीम सुनिश्चित करती है कि ट्रेंक्यूलाइजेशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
स्वच्छंद विचरण नहीं अब बनना होगा पालतू
साथी हाथी बलराम की मौत के बाद विचलित राम आम नागरिकों के लिए खतरनाक हो चुका था। ऐसे में उसका स्वच्छंद विचरण ठीक नहीं था। अब वह पालतू बनकर कान्हा जंगल में ही रहेगा। सोमवार को टीम उसे फिर से ट्रेंक्यूलाइज कर ट्रक की मदद से किसली लाएगी। वहां उसे पालतू बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। पहले उसके दांत का नुकीला हिस्सा कम किया जाएगा। इसके बाद धीरे-धीरे उसे पहले से मौजूद पालतू हाथी के दल में मिलाने की कोशिश होगी। हाथी का नेचर फैमिली होता है। इससे वह जल्द ही घुल-मिल जाएगा।

ग्रामीणों से मिला उपनाम, एक साल से थी मौजूदगी
ग्रामीणों द्वारा दिए गए राम-बलराम उपनाम वाले दोनों हाथी ओडिशा से छग के रास्ते भटक कर एक वर्ष पहले कान्हा और फिर मंडला, सिवनी, नरसिंहपुर में विचरण कर रह रहे थे। 27 नवंबर को दोनों हाथी जबलपुर के बरगी मोहास में पहुंचे। जहां बलराम हाथी की जंगली सूअर का शिकार करने बिछाए गए करंट की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई। इस मामले में वन विभाग की टीम दो शिकारियों को गिरफ्तार कर चुकी है। तब से बलराम हाथी के रेस्क्यू का प्रयास शुरू हुआ था।

प्रधान मुख्य सचिव वन संरक्षक ने दिए थे निर्देश
साथी बलराम की मौत से विचलित राम हाथी की सुरक्षा को लेकर रेस्क्यू का निर्देश प्रधान मुख्य सचिव वन संरक्षक ने दिए थे। राम हाथी ने मंडला के बीजाडांडी परिक्षेत्र में दो ग्रामीणों पर हमला भी कर दिया था। एक घायल को मेडिकल में भर्ती करना पड़ा था। उसकी पीठ पर राम हाथी ने दांत धंसा दिया था। वहीं दूसरे को हल्की चोटें आई थीं। इसके बाद राम हाथी लगातार अपना ठिकाना बदलता रहा। 10वें दिन वह काबू में आया।
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