नई पेंशन प्रणाली से हैं आर्थिक और मानसिक हानि
केंद्र सरकार द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में नई पेंशन योजना 2004 में प्रारंभ की गई थी। जो पुरानी पेंशन योजना थी। वह 2005 के बाद होने वाली भर्तियों में बंद कर दी गई थी। नई पेंशन प्रणाली के आधार पर कर्मचारियों को उनके वेतन से एक निर्धारण राशि काटकर के सरकार द्वारा भी उतनी ही राशि का अंशदान करते हुए संपूर्ण राशि निवेश कर दी जाती है। उस निवेश से होने वाले लाभ का हिस्सा उन्हें सेवानिवृति पर दिया जाता है। इस नई पेंशन प्रणाली से बाजार के उतार चढ़ाव के कारण कर्मचारियों को उतना लाभ नहीं मिलता जितना पुरानी पेंशन प्रणाली से उन्हें होता आया था। क्योंकि कर्मचारियों को पेंशन का लाभ उनके जीवित रहते व पश्चात नामिनी को मिलता है। जबकि वर्तमान पेंशन प्रणाली में एक बार ही बड़ी राशि का भुगतान कर दिया जाता है।
बड़वाह न्यायालय के 2005 के बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में पुरानी पेंशन प्रणाली लागू कर उसका लाभ उन्हें दिए जाने के लिए निवेदन किया है। पूरे भारत से बहुत से कर्मचारियों द्वारा उन्हें ऐसे पोस्टकार्ड लिखे जा रहे हैं। सभी कर्मचारी संगठनों द्वारा अपने अपने स्तर पर पुरानी पेंशन प्रणाली को ही लागू किए जाने की मांग की जा रही है। कुछ दिनों पूर्व दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा भी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन प्रणाली लागू किए जाने की केंद्र सरकार से मांग की गई थी। जिसे देखते हुए भारत भर के सभी कर्मचारियों द्वारा पुरानी पेंशन प्रणाली को लागू किए जाने की मांग की जा रही है। बड़वाह के सभी न्यायालय कर्मचारियों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए पत्र लिखे कर पुरानी पेंशन प्रणाली लागू किए जाने की मांग की गई है।
सैनिकों में नई पेंशन प्रणाली काे लेकर है आक्रोश
2005 के बाद भर्ती किए गए सैनिकों में भी इस नई पेंशन प्रणाली को लेकर आक्रोश है। उन्हें अपने देश पर अपनी जान लुटाने में एतराज नहीं मगर इस नई पेंशन प्रणाली के कारण उनके परिवार को जो आर्थिक लाभ, मानसिक संतुष्टि मिलनी चाहिए। उसका अभाव होने के कारण सैनिकों में भी इस नई पेंशन प्रणाली को लेकर असंतोष बना हुआ है। जिसे अब विभिन्न संस्था संगठनों, विभागों के कर्मचारियों द्वारा शीघ्र ही पुरानी पेंशन प्रणाली लागू किए जाने की मांग सभी तरफ से की जा रही है। नरेंद्र मोदी इस इस किसान आंदोलन से निपटने हुए कर्मचारियों द्वारा की जा रही इस पुरानी पेंशन की मांग को किस तरह से लेते हैं और लागू करते हैं।
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