नई पाइप लाइन में लगेंगे तीन साल, इसलिए सुक्ता में सुधार; वॉल्व व मीटर लगाने का प्रस्ताव बनाएगा निगम

नर्मदा जल योजना की पाइप लाइन बार-बार फूट रही है। इससे शहर में 24 से 30 घंटे तक पानी सप्लाई बाधित होने पर लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है। आगामी निकाय चुनाव में यह समस्या फिर मुद्दा बनेगी। इससे निपटने के लिए निगम द्वारा अभी से तैयारी की जा रही है।
पानी की समस्या से शहर को मुक्ति दिलाने के लिए चार विकल्प वाला प्रस्ताव बनाया जाएगा। इन पर अमल किए जाने से पाइप लाइन फूटने पर भी शहर में कम मात्रा में ही सही, लेकिन पानी की आपूर्ति जारी रहेगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस शासन काल के दौरान नई पाइप लाइन का प्रस्ताव तो स्वीकृत है लेकिन इसके लिए लाइन बिछाने में करीब तीन साल का समय लग सकता है। इसलिए अब सुक्ता फिल्टर प्लांट के साथ ही ट्यूबवेल में सुधार कराने, (डीएमए) डिस्ट्रिक्ट मीटरिंग एरिया बनाकर एक टंकी से एक जोन की व्यवस्था के लिए वॉल्व लगाने और नलों में मीटर लगाए जाने का प्रस्ताव बनाया जाएगा।
यह है नर्मदा जल योजना 50 किमी लंबी जीआरपी लाइन फूटती है
यूआईडीएसएमटी योजना और जन निजी भागीदारी योजना के तहत 2009 में 106.72 करोड़ की यह योजना बनाई गई थी। इसके लिए चारखेड़ा में 45 एमएलडी क्षमता का फिल्टर प्लांट बनाया। 50 किलोमीटर तक 800 एमएम व्यास वाली जीआरपी लाइन इस योजना में बिछाई है। नवंबर 2013 से शहर को इस योजना से पानी मिल रहा है। अब तक डेढ़ सौ से अधिक बार यह लाइन फूट चुकी है। एक दिन के अंतराल से शहर में पानी मिल रहा है।
55 साल पुराना है सुक्ता फिल्टर प्लांट, 6 से 7 एमएलडी ही मिल रहा पानी
शहर से 11 किलोमीटर दूर जसवाड़ी गांव में सुक्ता नदी पर 55 साल पहले सुक्ता फिल्टर प्लांट बनाया। यहां से 525 एमएम व्यास की कास्ट ऑयरन की लाइन से शहर में पानी लाया जा रहा है। इस फिल्टर प्लांट की क्षमता 12 एमएलडी पानी की है लेकिन मोटर पंप सहित अन्य उपकरण पुराने होने के कारण 6 से 7 एमएलडी ही इस योजना से पानी मिल रहा है।
280 नलकूप है शहर में, इनमें पुराने हो गए मोटर पंप
शहर में पानी सप्लाई के लिए 280 नलकूप भी हैं। इनसे करीब 2 एमएलडी पानी सप्लाई किया जाता है। हालांकि इन ट्यूबवेलों भी 12 से 15 साल पुराने मोटर पंप हैं। पर्याप्त मात्रा में पानी सप्लाई के लिए इन्हें भी व्यवस्थित किया जाएगा।
वॉल्व नहीं होने के कारण कई क्षेत्रों में नहीं पहुंच पा रहा पानी
नर्मदा जल योजना के तहत शहर में बिछाई डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में कही भी वॉल्व नहीं है। लाइनों को आपस में जोड़ दिए जाने से दूसरे जोन के ढलान वाले हिस्से में भी टंकियों का पानी पहुंच रहा है। वहीं संबंधित कुछ जोन में ऊंचाई वाले हिस्सों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे क्षेत्र में वाल्व लगाकर पानी सप्लाई व्यवस्थित किया जा सकता है।
नलों में मीटर लगाने से भी मिल सकती है राहत
नर्मदा जल योजना का मुख्य आधार नलों में पानी के मीटर लगाया जाना है। नल में मीटर लगाए जाने के बाद ही 24 घंटे सतत पानी सप्लाई पर्याप्त प्रेशर से पानी सप्लाई हो सकता है। इसलिए योजना बनाते समय कही भी पाइप लाइन में वॉल्व नहीं लगाए। जितनी जरुरत उतना ही पानी लिए जाने और व्यर्थ पानी नहीं बहने से रुकने पर भी व्यवस्था सुधर सकती है। तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार नलों में मीटर लगाए जाने पर टंकियां हमेशा भरी रहेंगी। ऐसे में पाइप लाइन फूटने पर भी शहर पानी की समस्या नहीं होगी।
फैक्ट एंड फिगर्स
- 84 करोड़ रुपए लागत से कांग्रेस शासन काल में बन चुका है नई पाइप लाइन का प्रस्ताव
- 10 करोड़ रुपए सुक्ता फिल्टर प्लांट के सुधार में खर्च संभावित
- 12 करोड़ रुपए पाइप लाइनों में वॉल्व लगाने और ट्यूवबेल सुधारने पर हो सकते हैं खर्च
- 7 करोड़ रुपए लागत से लगाए जा सकते हैं शहर के सभी नलों में मीटर
- 34 एमएलडी पानी प्रतिदिन शहर की है आवश्यकता
- 41 किलोमीटर तक चारखेड़ा व्हाया जावर होते हुए बिछाई जा सकती है नई पाइप लाइन
नई लाइन के साथ ही सुक्ता और ट्यूबवेल सुधार का बनाएंगे प्रस्ताव
नई पाइप लाइन बिछाने में करीब तीन साल का समय लग सकता है, इसलिए पाइप लाइन के साथ ही सुक्ता व ट्यूवबेल के सुधार, डीएमए का प्रस्ताव भी बनाएंगे। इसमें करीब 22 करोड़ रुपए खर्च आने की संभावना है। - हिमांशु भट्ट, आयुक्त, नगर निगम
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