कान के ऑपरेशन, शुगर की बीमारी का इलाज कराने पहुंचे पता चला कार्ड का डाटा पोर्टल पर नहीं, अधूरे भी मिले

लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ देने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए आयुष्मान कार्ड अब किसी काम के नहीं रहे। योजना की शुरुआत में जिले के करीब 5 लाख 77 हजार से ज्यादा पात्र हितग्राहियों का लक्ष्य तय किया था। लेकिन जिले के ढाई लाख जरूरतमंदों तक इस योजना का लाभ अब तक नहीं पहुंच पाया। जिन्होंने कार्ड बना लिए, उन्हें जब इसकी जरूरत पड़ी तो कार्ड का डाटा ही पोर्टल पर नहीं मिला। इसका पता तब चला, जब कान के ऑपरेशन तो कोई शुगर की बीमारी के इलाज कराने के दौरान चयनित अस्पतालों में पहुंचे लोगों काे कार्ड का लाभ नहीं मिला।

बुधवार को जिला अस्पताल के आयुष्मान आरोग्य केंद्र के कक्ष में ऐसे ही कई हितग्राहियों की भीड़ लगी दिखाई दी। किसी का पोर्टल पर नाम नहीं दिखाई दे रहा था, किसी की जानकारी अधूरी होने के कारण कार्ड को मान्य नहीं किए जाने जैसी समस्या सामने आई। अस्पताल पहुंचे जेमीन पटेल ने बताया कि उन्होंने उनके परिवार के कुछ सदस्यों का आयुष्मान कार्ड बनवाया था। गत दिनों आयुष्मान योजना के लिए चयनित स्थानीय निजी अस्पताल के स्टाफ ने पहले तो नकली बता दिया, लेकिन जब वे इसकी जानकारी लेने के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचे तो अलग की कहानी सामने आई। केंद्र के कर्मचारियों ने बताया कि पिछले दिनों भोपाल से अपात्रों की छंटनी में कई नाम काट दिए हैं।

26 को ऑपरेशन, योजना का कार्ड काम ही नहीं कर रहा
ऐसी ही गड़बड़ी का एक और मामला और सामने आया। इसमें एक युवती पिछले तीन-चार दिनों से परेशान हो रही है। नीलू नामक युवती ने बताया कि उनके परिवार ने भी आयुष्मान कार्ड बनवाया था। परिवार के एक सदस्य को कान के पर्दे की खराबी के बाद डाॅक्टरों ने ऑपरेशन कराने की सलाह दी थी। इस पर वे इंदौर के एक अस्पताल में पहुंचे, लेकिन वहां उक्त कार्ड में दिखाई गई जानकारी उनके परिवार से मेल ही नहीं खा रही थी। इस वजह से उन्हें अब 20-25 हजार रुपए स्वयं खर्च करने पड़ सकते हैं।

कियोस्क सेंटर पर बने कार्डों में मिल रही है ज्यादा गड़बड़ी
आयुष्मान आरोग्य केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार दिनभर में 4-5 ऐसे मामले सामने आते हैं। इसमें कुछ न कुछ गड़बड़ी सामने आ रही है। इस संबंध में स्थानीय स्तर पर निराकरण भी संभवत नहीं होने से केंद्र पर बैठे कर्मचारी भी लोगों को टालमटोल कर रवाना कर देते हैं। कार्ड में गड़बड़ी के ज्यादातर मामले में कियोस्क सेंटर पर बने कार्डों में आ रहे हैं।
अपात्रों के भी बने कार्ड
आयुष्मान आरोग्य केंद्र पर आ रहे कई लोगों के पास आयुष्मान कार्ड दिखाई दिया। कुछ तो ऐसे थे, जो संपन्न परिवार के थे, तो कुछ को 2011 की जनगणना सूची में नाम नहीं होने के बाद भी योजना का लाभ मिला। जबकि इस कार्ड को बनाने के लिए 2011 की जनगणना सर्वे के अधार पर बीपीएल सूची में होना अनिवार्य है।

कार्ड का ऐसे मिलेगा लाभ
सरकार द्वारा देश के सरकारी अस्पताल और निजी अस्पतालों में इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का लक्ष्य रखा था। इसमें पात्र हितग्राहियों को अधिकतम 5 लाख रुपए तक इलाज की सुविधा थी। इस योजना के तहत शाजापुर जिले के सरकारी अस्पताल के साथ निजी अस्पताल भी शामिल हैं।

अपात्रों की छंटनी के बाद सामने आई गड़बड़ी
योजना के तहत अपात्रों के कार्ड बनने की जानकारी सामने आने के बाद भोपाल से ही नाम काटे गए थे। आयुष्मान कार्ड में गड़बड़ी को लेकर हर दिन कोई न कोई मामला सामने आ रहा है। इस संबंध में भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों को भी अवगत कराया जाएगा।
राजेश सौरष्ट्रीय, डिस्ट्रिक काे-ऑर्डिनेटर आयुष्मान



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कार्ड में गड़बड़ी होने की समस्या लेकर आयुष्मान केंद्र पहुंचे हितग्राही।


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