अब मुंबई के डॉक्टर सागर में ही कैंसर-हृदय रोग के मरीजों का कर सकेंगे इलाज

देश में पहली बार लॉकडाउन जैसी स्थितियां बनी। इस दौरान सबसे ज्यादा परेशानी उन मरीजों को हुई जिनका इलाज दूसरे बड़े शहरों में चल रहा था। आवागमन के साधन बंद थे और फोन के माध्यम से क्लीनिकल परीक्षण संभव नहीं था। लोगों की यही परेशानी देखकर तीन युवाओं ने ऐसी मशीन तैयार की, जिसमें गांव में बैठा व्यक्ति भी देश के विशेषज्ञ से अपना इलाज करा सकता है। इस टेलीक्लीनिक मशीन के पहले चरण की शुरुआत इन युवाओं ने सागर, भोपाल, उदयपुरा और होशंगाबाद से की है। जिसमें इन शहर में बैठे मरीज मुंबई और दिल्ली के डॉक्टरों से कैंसर, हृदय रोग और पैरालाइसिस जैसी बड़ी बीमारियों का इलाज भी ले रहे हैं।
किसी ने अमेरिका में नौकरी छोड़ी तो किसी ने एम्स में पीजी की पढ़ाई
भटिंडा के अमन सिंगला ने अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर और भोपाल के दिव्यांश जैन ने मुंबई में प्राइवेट कंपनी की नौकरी से इस्तीफा दिया। भोपाल के ही डॉ. हार्दिक पांडे ने एम्स में पीजी की पढ़ाई छोड़ दी। तीनों नेे टेली क्लीनिक मशीन टी-डॉक्ट्स बनाई। सागर में यह मशीन चैतन्य अस्पताल में इंस्टॉल की गई है। जहां से फोन पर अपॉइनमेंट लेकर मरीजों को मुंबई के विशेषज्ञों की सुविधा दी जा रही है।
टेली क्लीनिक से कैंसर के मरीज मुंबई के डॉक्टरों से करा रहे कीमोथैरेपी
डॉ. हार्दिक पांडे ने बताया कि मशीन की मदद से भोपाल में कई मरीज मुंबई के डॉक्टरों की सलाह लेकर अस्पताल में कीमोथैरेपी करा रहे हैं। वहीं उदयपुरा में हार्ट अटैक और पैरालाइसिस के मरीजों का इलाज भी टेली क्लीनिक के माध्यम से संभव हो सका है। अब सागर में भी इसकी शुरुआत की गई है। इस मशीन की खास बात यह है कि इसकी पिक्चर क्वालिटी बहुत की क्लियर है।
टेलीक्लीनिक के फायदे
- टेलीक्लीनिक में न सिर्फ विशेषज्ञ अपनी बीमारी के संबंध बता सकेंगे, बल्कि जूनियर डॉक्टर की मदद से अपना क्लीनिकल एग्जामिनेशन भी हो सकेगा।
- शहर का लोकल डॉक्टर विशेषज्ञ के बताए अनुसार आपके इलाज में मदद करेगा।
- मरीज को रूटीन चैकअप के लिए बार-बार बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं होगी।
- समय और पैसे दोनों बचेंगे।
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