पांच दिन बढ़े, अब 30 तक होगी खरीदी, 9 हजार किसानों ने अभी नहीं बेची है उपज

गेहूं खरीदी में इस साल अफसरों के सारे अनुमान फेल हो गए। इस कारण बारदान से लेकर भंडारण तक की बड़ी समस्या सामने आ गई। स्थिति यह है कि जितने गेहूं वेयर हाउस के अंदर रखे हैं, उससे ज्यादा गेहूं की बोरियां केंद्र के बाहर रखी हैं। इधर, तीन दिन बार 31 मई को गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना के चलते गोदाम से बाहर रखे हजारों टन को सुरक्षित रखना चुनौती रहेगी।
ज्ञात रहे जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 15 अप्रैल से शुरू हुई, जो 26 मई तक चलना थी। लेकिन अंतिम दिन सरकार ने खरीदी 5 दिन और आगे बढ़ा दी। लगातार किसानों के दबाव के चलते स्थानीय प्रशासन बारदान से लेकर भंडारण तक नहीं कर पा रहा है। जिले में इतने गेहूं पैदा हुए कि खरीदी केंद्रों के फुल होने के बाद भी किसानों की कतार कम नहीं हुई। जैसे तैसे बारदान जुटाकर की जा रही खरीदी के बाद भी गोदामों के सामने भी अनाज की बोरियों की थप्पियां लग गई।
जिले में बारदान की अब भी मांग के अनुरुप आपूर्ति नहीं हो सकी। ऐसे में खरीदी केंद्रों पर गेहूं का तौल कराने की गति कम हो गई। यदि बारदान की उपलब्धता नहीं हो सकेगी। तो 5 दिन बढ़ाने के बाद भी 60 हजार में से अब तक गेहूं बेचने से रहे करीब 9 हजार किसानों के गेहूं का तौल करना मुश्किल रहेगा।
इसलिए सारे किसान सरकार को बेच रहे गेहूं : फसल के पकने के बाद व कटाई के दौरान इस साल मावठे की बारिश हो गई। इससे गेहूं फसल की चमक खराब हो गई। वहीं जिलेभर में बंपर आवक होने से खुले मार्केट में गेहूं के बाद लुढ़क गए। मार्केट में 1300 से लेकर 1500 व 1600 रुपए में ही व्यापारी खरीदने लगे। ऐसे में सारे किसान सरकारी स्तर पर तय समर्थन मूल्य 1925 रुपए प्रति क्विंटल पर गेहूं बेच रहे हैं।
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