गर्मी में हर साल पानी के लिए दर-दर भटकते थे, इस बार स्वयं के खर्च पर खेत से पाइप लाइन बिछाकर गांव में ले आए पानी

ग्राम पंचायत नयापुरा के अंतर्गत अाने वाले भेरूपुरा (घाटी) में अधिकांश आदिवासी बाहुल्य एवं मजदूर वर्ग निवास करते हैं। उनके दिन की शुरुआत ही पीने के पानी की भागदौड़ से होती थी। जैसे-जैसे गर्मी के दिन बढ़ते थे वैसे-वैसे पानी की किल्लत शुरू हाे जाती थी। इस बार ग्रामीणों ने स्वयं ही दो से तीन किमी दूर खेत से पाइप लाइन बिछाकर पानी गांव में ही ले आए।
करीब 800 लोगों की आबादी के इस गांव में गर्मी शुरु हाेते ही कुएं, बावड़ी और हैंडपंप सूख जाते हैं। ग्रामीणों का आधा समय तो पानी की जुगाड़ करने में ही लग जाता था। ग्रामीण पानी के लिए एक खेत से दूसरे खेत तक भटकते रहते थे। समस्या को देखते हुए ग्रामीण खुद ही जलदूत बन गए।

खेत मालिक ने दिया सुझाव, महिलाओं ने इकट्‌ठा किया चंदा और लाइन डलते ही दूर हो गई पानी की किल्लत
ग्रामीणों ने बताया कि पानी की किल्लत को देखते हुए अमन अरविंदसिंह त्रेहन ने अपने खेत से पाइप लगाकर पानी लाने का सुझाव दिया। इसके बाद ग्रामीणों ने आपस में मिलकर बातचीत की और सभी की सहमति से निर्णय लिया और त्रेहन के सुझाव पर अमल किया और पानी की समस्या से छुटकारा मिल गया। पाइप लाइन के लिए शासकीय विद्यालय की प्रधानाध्यापक ललिता जोशी एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सीमा पाटीदार ने गांव की महिलाओं के साथ चंदा इकट्ठा किया। इस कार्य में वासुदेव त्रेहन, सोहन राठौर, शिक्षक रामौतार कुमरे, पालकराम काकोड़िया, रामचंदर, जगदीश इवने, अकिरम, राजेश सुनारिया, राहुल, केदार काकोड़िया, संजूबाई, भगवतीबाई, रुक्मणिबाई, अनूपाबाई, फूलवतीबाई सहित वनविभाग के अधिकारियों का भी सहयोग रहा।



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Every year in the summer, we used to wander from water to water, this time, at our own expense, by laying a pipeline from the field and bringing water to the village


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