बॉर्डर पर स्क्रीनिंग कर घर भेजा, सैंपल कराए तो निकला संक्रमण

जिले में प्रदेश के महानगरों सहित दूसरे राज्यों के रेड जोन से रोजाना आ रहे लोगों की सैंपलिंग को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं है। जिले की सीमाओं पर उन्हें स्क्रीनिंग करके घरों के लिए रवाना किया जा रहा है। पिछले चार दिनों में बाहर से आने वाले 12 लोग (अभी तक 19) संक्रमित मिलने के बाद न तो सीमाओं पर ऐसे लोगों के लिए सैंपलिंग की व्यवस्था है और न ही उन्हें घर से दूर क्वारेंटाइन कराया जा रहा है। ऐसी चूक के कारण खतरा बढ़ता जा रहा है। उधर, जेएएच के मेडिसिन विभाग के आईसीयू में पदस्थ जूनियर डॉक्टर आकाश गढ़वाल के संक्रमित पाए जाने के बाद अब आईसीयू में पदस्थ डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों सहित आईसीयू में भर्ती सभी 40 मरीजों के सैंपल कराए जाएंगे। वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि डॉ. आकाश के संपर्क में आने के कारण इन सभी केे संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है।
रोजाना सैंकड़ों लोगों की ग्वालियर में हो रही आमद, लेकिन सैंपल कुछ के ही
दूसरे राज्यों के रेड जोन क्षेत्रों से रोजाना पांच सौ से अधिक लोग ग्वालियर आ रहे हैं। इसकी जानकारी होने के बाद भी प्रशासन इनमें से दो-चार लोगों के ही सैंपल करा रहा है। दो दिन पहले मिले पिछोर निवासी दो संक्रमित मरीजों के साथ सात लोग आए थे। इनमें से एक दतिया का था और शेष सभी ग्वालियर के। पवन और अरविंद कुशवाह की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उनके साथियों की तलाश कर उनके सैंपल कराए गए। इस बीच वे गांव पहुंचकर लोगों से मिलते जुलते रहे।
हजीरा का धर्मवीर दो दिन से घर पर था, उसके परिवार पर संक्रमण का खतरा
हजीरा निवासी धर्मवीर भी दो दिन से अपने घर में रह रहा है। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अब उनके परिजनों लिए भी संक्रमण का खतरा जताया जा रहा है। इसी तरह से सैंपल लेकर घर रवाना किए गए मुलायम सिंह ने भी रिपोर्ट पॉजिटव आने के बाद अपने परिवार के 18 सदस्यों के सैंपल लेकर जांच कराने की मांग की थी। जानकारों का मानना है कि बाहर से आने वालों को सीमा पर रोककर शहर से बाहर ही संस्थागत क्वारेंटाइन किया जाए। रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें होम क्वारेंटाइन कराया जाए।
चार जवानों के साथ भोपाल से ग्वालियर आया था एसएएफ में कार्यरत राजेंद्र
भोपाल में पदस्थ राजेंद्र की दोनों किडनी में स्टोन है, साथ ही वह टायफायड से भी पीड़ित है। इस कारण भोपाल स्थित कैंप में उसे अलग रखा गया था। कुछ दिनों से स्वास्थ्य खराब रहने के कारण उसने ग्वालियर आने के लिए आवेदन दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। सरकारी गाड़ी से उसे भोपाल से ग्वालियर लाया गया। हालांकि, उसके साथ वाहन में आधा दर्जन जवान भी मौजूद थे। 6 मई की सुबह ग्वालियर आने के बाद आमद दर्ज कराने से पहले वह घर पर सामान देने भी गया था। चूंकि, उसका स्वास्थ्य खराब था, इस कारण उसे क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया और सैंपल लिया गया।
बाहर से आने वालों को जांच के बाद ही घर जाने दें
दूसरे राज्यों और प्रदेश के रेड जोन वाले क्षेत्रों से ग्वालियर में लगातार आने वाले लोगों को सीमाओं पर ही रोक देना चाहिए। इन्हें पहले शहर से बाहर क्वारेंटाइन कराया जाए। यहां उनके सैंपल कराए जाएं। सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आने तक उन्हें 14 दिन के होम क्वारेंटाइन की सलाह देकर रवाना किया जाए और पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर उन्हें भर्ती कराया जाए। शरीर का तापमान मापने वाली थर्मल स्क्रीनिंग इसके लिए प्रभावी नहीं है। जिन संक्रमित मरीजों में बीमारी के लक्षण नहीं दिखते, थर्मल स्क्रीनिंग से उनमें कोरोना वायरस का संक्रमण है या नहीं, यह पता करना संभव नहीं है।
आपकाे संक्रमण मुक्त करने के लिए लैब में 37 चेहरे 24 घंटे कर रहे सैंपलों की जांच
काेराेना वायरस के संक्रमण से निजात के लिए जीआरएमसी की वायराेलाॅजिकल लैब में 37 चेहरे 24 घंटे काम कर रहे हैं। राउंड द क्लाॅक ड्यूटी के हिसाब से यहां हर किसी का काम तय है। दाे आरटी-पीसीआर मशीनाें के जरिए यहां कार्यरत डाॅक्टर और टेक्नीशियन 24 घंटे में कम से कम 300 सैंपलाें की जांच कर रहे हैं। शुक्रवार को एक और आरटी-पीसीआर (रियल टाइम- पालीमराइज चेन रिएक्शन) मशीन लैब काे मिल गई है। इस मशीन के इंस्टाल होते ही कोरोना संक्रमण की टेस्टिंग की संख्या में और इजाफा हो जाएगा। जीअारएमसी के डीन डाॅ. एसएन आयंगर ने बताया कि टेस्टिंग क्षमता बढ़ाने के लिए ऑटो आरएनए एक्सट्रेक्टर के साथ ही माइक्रो सेंट्रीफ्यूज और बायोसेफ्टी कैबिनेट का भी ऑर्डर कर दिया गया है। जल्द ही यह मशीन कालेज में आ जाएंगी। गाैरतलब है कि जीआरएमसी में सात अप्रैल से कोरोना संक्रमण की टेस्टिंग शुरू हुई। तब से लेकर अब तक लैब में लगभग साढ़े पांच हजार सैंपलों की जांच की जा चुकी है।
18 घंटे लगते हैं एक सैंपल की जांच और रिपाेर्ट में
काेराेना संदिग्ध के एक सैंपल के कलेक्ट होने के बाद उसकी जांच करने और रिपोर्ट तैयार करने में लगभग 18 से 24 घंटे लगते हैं। एक मशीन की क्षमता एक बार में 90 से 110 सैंपल जांचने की है। इस हिसाब से 220 सैंपल 18 घंटे में जांचे जा सकते हैं। यदि छह घंटे का औसत और जाेड़ा जाए ताे दाे मशीनाें से 24 घंटे में 300 सैंपल की जांच हाे सकती है।
हर वक्त रहते हैं 2 डाॅक्टर और 4 टेक्नीशियन
जीआरएमसी की लैब में हर समय 2 डाॅक्टर, 3 से 4 टेक्नीशियन मौजूद रहते हैं। इसके अलावा कंसल्ट ऑन काल की भी सुविधा रहती है। यहां ग्वालियर के अलावा आसपास के जिलों के भी सैंपल आते हैं। इस कारण वर्कलोड ज्यादा है। इस कारण यहां स्टाफ 8-8 घंटे की ड्यूटी के हिसाब से 24 घंटे काम कर रहा है। माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डाॅ. सविता भरत ने बताया कि सैंपलिंग का काम प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डाॅ. वैभव मिश्रा का अगुवाई में किया जा रहा है। डाॅ. ऋषिका खेतान बतौर को-इंवेस्टीगेटर सेवाएं दे रही हैं। 8एक सीनियर रेजीडेंट, सात पीजी, आठ फैकल्टी मेंबर और चार साइंटिस्ट अलग-अलग शिफ्ट में काम कर रहे हैं। 10 टेक्नीशियंस और पैथॉलाजी डिपार्टमेंट के 4 जूनियर डाॅक्टर भी भूमिका अदा कर रहे हैं।
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