न खातों में धन, न घर में राशन, अपनी बात सुनाते हुए महिलाएँ रो पड़ीं, लेकिन अधिकारियों के दिल नहीं पसीजे

डेढ़ महीने से ज्यादा हो गये हैं बड़ी मुश्किल से घर चल रहा है, दो-दो दिन भूखे रहना पड़ता है, न ही जनधन खातों में धन पहुँच रहा है, न ही राशन दुकानों से राशन मिल पा रहा है। जहाँ भी जाते हैं भगा दिया जाता है। इस तरह की व्यथा मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुँचकर महिलाओं ने सुनाईं। अपनी बात सुनाते हुए महिलाएँ रो पड़ीं, लेकिन अधिकारियों के दिल नहीं पसीजे। महिलाएँ अधिकारियों से मिलने और उनकी बात सुनने की आस में दो घंटे तक बैठी रहीं, लेकिन कोई भी अधिकारी उनकी बात सुनने तैयार नहीं था। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आईं सपना कोल, अनीता वर्मा, तारा बाई समुद्रे, उमा चौधरी, अंजलि कोल सहित अन्य महिलाओं का कहना था कि जनधन खातों में कहा जा रहा है कि पैसे आ गये हैं, लेकिन बैंक जाओ तो कह दिया जाता है कि अभी कोई राशि नहीं आई है। इसी तरह एक दिव्यांग युवक धनराज अर्खेल ने बताया कि उज्ज्वला गैस कनेक्शन है अब सिलेंडर की रिफिल भरानी है अभी तक लेकिन इसकी राशि नहीं आई।
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