सरकार के आदेश के बाद भी ग्रीन और ऑरेंज जोन जिलों में नहीं खुली शराब की दुकानें, हाईकोर्ट पहुंचे ठेकेदार, कोर्ट ने दिया सरकार को नोटिस

कोरोना संक्रमण के बीच शराब की दुकानें खोलने के मामले में सरकार और ठेकेदार आमने-सामने आ गए हैं। सरकार के आदेश के बाद भी आज प्रदेश में शराब ठेकेदारों ने दुकानें नहीं खोलीं।सरकार के दुकानें खोलने के आदेश को चुनौती देते हुए ठेकेदारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एके मित्तल व न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने शराब ठेकेदारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब शराब दुकानों के खुलने का निर्धारित समय कम कर दिया गया है तो इनके ठेकों की पूर्व निर्धारित रकम क्यों नहीं घटाई जा रही है।

दरअसल, एक मई को आबकारी विभाग ने दुकानें खोलने का सर्कुलर कलेक्टरों को भेजा था, लेकिन इस आदेश पर शराब ठेकेदारों ने आपत्ति जता दी है। सोमवार को मुख्य सचिव आईसीपी केशरी के साथ ठेकेदारों की बैठक हुई। ठेकेदारों ने कहा- शराब दुकानें बंद रखी जाएं। बैठक चल रही थी, इसी दौरान आबकारी विभाग ने दुकानें खेलने का आदेश जारी कर दिया। ठेकेदारों को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने जनहित में दुकानें बंद करने का ऐलान कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि प्रशासन दबाव बनाता है तो हम कोर्ट जाएंगे। ठेकेदार वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 10,650 करोड़ रु. रेवेन्यू के साथ शराब दुकानें आवंटित हुई हैं। यह एक्साइज ड्यूटी एक अप्रैल से प्रभावी है, अभी दुकानें बंद हैं, इससे सरकार को 1000 करोड़ का नुकसान हुआ है। ठेकेदार नई शर्तों के साथ ड्यूटी नहीं देना चाहते।

शराब ठेके के मामले में राज्य सरकार को नोटिस

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने आज प्रदेश में शराब ठेके की राशि कम किए जाने की मांग लेकर लेकर दायर की गई याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। प्रदेश के शराब ठेकेदारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि वैश्विक कोरोना महामारी के कारण लागू लॉक डाउन की वजह से वह अपनी दुकानों का संचालन नहीं कर पाए| ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए उनकी ठेके राशि कम की जाए। मुख्य न्यायाधीश एके मित्तल तथा न्यायाधीश वीके शुक्ला की युगल पीठ ने याचिका की सुनवायी करते हुए इस मामले में प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है| युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि प्रदेश सरकार का जवाब आने के बाद अगली सुनवाई में अंतरिम राहत पर विचार किया जाएगा।

पहले 14 घंटे खोली जाना थी दुकानें
प्रदेश में शराब ठेकेदारों की तरफ से पेश की गई याचिका में कहा गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा जब वर्ष 2020 -2021 के लिए टेंडर आमंत्रित कर शराब ठेके दिए गए थे। तब परिस्थितियां अलग थी याचिकाकर्ता ने टेंडर के माध्यम से ठेके लिए थे। टेंडर के अनुसार ठेके की अवधि 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक थी। इसके अलावा दुकान का संचालन 14 घंटे तक कर सकते थे। टेंडर आवंटित होने के दौरान उन्होंने निर्धारित राशि जमा कर दी थी। याचिका में कहा गया था कि टेंडर प्रारंभ होने के पहले ही करोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था| इसके बाद लॉक डाउन की अवधि में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा अब कुछ जिलों तथा क्षेत्रों में शराब दुकान संचालन की अनुमति प्रदान की गई। इन क्षेत्रों में महज कुछ घंटों दुकान संचालन की अनुमति रहेगी। याचिका में कहा गया है कि उनके द्वारा कई हजार करोड़ों में ठेका लिया गया है।

राशि कम करने की मांग
याचिका में मांग की गई है की जितने दिन दुकान बंद रही है और दुकान संचालन के घंटों में कटौती का आंकलन कर ठेका राशि उतनी कम की जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐसा नहीं करने पर उनकी जमा राशि वापस की जाए और नए सिरे से ठेके के लिए टेंडर आमंत्रित किए जाएं |इस याचिका की सुनवाई शराब ठेका को चुनौती देने वाली पूर्व में दायर याचिकाओं की साथ की गई| युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगा दी है|

30 शराब ठेकेदारों ने याचिका दायर की

मंगलवार को हाईकोर्ट में मां वैष्णो देवी इंटरप्राइजेज जबलपुर के आशीष शिवहरे सहित छिंदवाड़ा, लखनादौन, सिवनी, भोपाल, टीकमगढ़ व अन्य जिलों के 30 शराब ठेकेदारों ने याचिका दायर की है। अधिवक्ता राहुल दिवाकर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट को तर्क दिया कि जब याचिकाकर्ताओं ने संबधित शराब दुकानों के ठेके लिए तो निविदा की शर्तें कुछ और थीं। इनके तहत शराब दुकानों को दिन में 14 घंटे खोले जाने की अनुमति थी। दुकान के साथ मे शराब पीने के लिए अहाता संचालन की भी अनुमति थी। लेकिन 23 मार्च के बाद से परिस्थितियां बदल गईं हैं। इसके चलते याचिकाकर्ता ठेकेदारों को तगड़ा नुकसान हो रहा है। राज्य सरकार ने ठेकों की निर्धारित राशि कम करने के लिए कोई पहल नही की है। सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने रखा। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया।



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हाईकोर्ट जबलपुर


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