ऑपरेटर 300 से ज्यादा बसें आरटीओ में जमा करने निकले, प्रशासन ने रोका

शासन ने मांगों को नजर अंदाज किया तो गुरुवार को बस ऑपरेटरों का गुस्सा फूट पड़ा। सुबह 11 बजे ऑपरेटर्स 100 से अधिक बसें लेकर आरटीओ कार्यालय में जमा करने निकल पड़े, तभी प्रशासन ने किल्लाई नाका पर रोक लिया और उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। इस बीच बस ऑपरेटर्स व पुलिस के बीच बहस भी हुई। काफी प्रयास के बाद जब प्रशासन नहीं माना तो बस यूनियन एवं चालक-परिचालक संघ के पदाधिकारियों ने किल्लाई नाका पर ही अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। हालांकि इस दौरान किल्लाई नाका से बस स्टैंड चौराहा तक बसों की लंबी कतार लगी रही।
इससे पहले बस ऑपरेटर यूनियन ने जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर पांच मांगों से अवगत कराया था। जिसमें यूनियन ने छह माह का टैक्स माफ करने, डीजल की दर में 15 रुपए की सब्सिडी, किराया में 50% की वृद्धि, बीमा पॉलिसी में 3 माह का लॉकडाउन के कारण अवधि बढ़ाने और चालक प्रति चालक के खातों में 10,000 की आर्थिक सहायता डालने की मांग की थी, लेकिन इनमें से एक भी मांग नहीं मानी गई जिसके बाद यूनियन ने आरटीओ कार्यालय में जिले की 300 बसें खड़ी करने की चेतावनी दी थी, इसी चेतावनी के चलते बस यूनियन के पदाधिकारी सुबह बसें कार्यालय में जमा करने के लिए निकल पड़े।
किल्लाई नाका पर पहुंचते ही एसडीएम रवींद्र चौकसे, तहसीलदार बबीता राठौर सहित भारी पुलिस बल ने बसों को रोक लिया और कहा कि आगे नहीं बढ़ सकते। इस बीच बस यूनियन के सचिव शमीम कुरैशी व सीएसपी मुकेश अबिद्रा के बीच कहा-सुनी हो गई और टकराव की स्थिति बनने लगी, लेकिन पदाधिकारियों ने स्थिति को संभाल लिया। इधर बस यूनियन के अध्यक्ष शंकर राय एवं चालक-परिचालक संघ के अध्यक्ष बृजलाल पटेल ने अपनी-अपनी मांगों के संदर्भ में एसडीएम रवींद्र चौकसे व आरटीओ आरडी दक्ष को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद सभी बसों को तीन गुल्ली से होते हुए बस स्टैंड रवाना किया गया।
सरकार से रियायत नहीं मिली तो बसों का संचालन संभव नहीं
जिला बस यूनियन के अध्यक्ष शंकर राय ने बताया कि तीन माह से बसों के पहिए थमे हैं, फिर भी शासन टैक्स माफी नहीं कर रहा है। दूसरी ओर डीजल के दाम भी कई गुना बढ़ गए हैं। पहले जब डीजल 58 रुपए प्रति लीटर था तब दमोह से जबलपुर का किराया 100 रुपए था, अब डीजल 80 रुपए लीटर हो गया है, ऐसे में पुराने किराये में हमारा डीजल खर्च भी नहीं निकल पाएगा। दूसरी ओर वर्तमान समय में ऐसे हालात नहीं हैं कि बसों का संचालन किया जा सके। ऐसी स्थिति में कोई भी बस ऑपरेटर बसों का संचालन करने में सक्षम नहीं है। इस दाैरान करन सिंह परिहार, संजीव राय, शमीम कुरैशी, धरमवीर राय, नवीन जैन, महेश राय, रिंकू कुरैशी, बंटी सहित अनेक ऑपरेटर्स मौजूद थे।
तीन माह से एक रुपए की मदद नहीं मिली, परिवार को क्या खिलाएं
इधर चालक-परिचालक संघ के अध्यक्ष बृजलाल पटेल का कहना है कि बसें बंद होने से हम लोगों को बीते तीन माह से किसी से भी एक रुपए की भी मदद नहीं मिली है। हमारे परिवारों पर क्या बीत रही है यह हम लोग ही जानते हैं। घर में एक व्यक्ति कमाने वाला है, लेकिन परिवार का खर्च, माता-पिता का इलाज कहां से हो। हम लोग पांच बार सांसद, कलेक्टर व आरटीओ कार्यालय को आवेदन सौंप चुके हैं, लेकिन कहीं से मदद नहीं मिली। अब हमारी मांग है कि जब तक तीन माह का वेतन नहीं मिलेगा, तब तक हम बसें नहीं चलाएंगे। साथ ही अपने-अपने लाइसेंस आरटीओ को भी सौंपेंगे।
शासन से भी किसी प्रकार की टैक्स में छूट की बात सामने नहीं आई है, जब तक शासन का कोई आदेश नहीं आता कुछ कहा नहीं जा सकता है ।
आरडी दक्ष, परिवहन अधिकारी
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