लहसुन के भाव 10 हजार रुपए तक पहुंचे, मांग भी बढ़ी, लेकिन परिवहन करना पहले से ज्यादा महंगा

लहसुन की तेजी से शहर की मंडी व्यापारी और किसानों के चेहरे पर रौनक लौट आई, क्योंकि लॉकडाउन के बाद खुली मंडी में ना माल की जोरदार आवक थी ना ही बाजार में डिमांड बढ़ रही थी। उपज के भाव भी स्थिर हो गए थे, लेकिन पिछले एक हफ्ते से लहसुन की डिमांड बढ़ गई है तथा भाव भी बढ़ने लगे हैं और 3 से 10 हजार रुपए क्विंटल तक पहुंच चुका है। वहीं दूसरी कैटेगरी का माल भी 8 हजार रुपए क्विंटल में नीलाम हो रहा है। व्यापारी के अनुसार मानसून नहीं आने के कारण अभी भी जरूरत के मुताबिक तेजी नहीं आई है। जैसे ही अच्छी बारिश होगी उसके बाद दाम और भी बढ़ेंगे। अभी शहर की मंडी से महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में माल सप्लाई किया जा रहा है। हालांकि कई क्षेत्र में कंटेनमेंट और लॉकडाउन होने से परिवहन में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इधर डीजल के भाव बढ़ने से ट्रांसपोर्ट का खर्च भी 10 फीसदी बढ़ गया है।
मंडी व्यापारी दिलीप परियानी ने बताया कि मंडी से लहसुन और प्याज की नीलामी के बाद व्यापारी इनके सौदे अन्य प्रदेशों की बड़ी मंडियों के व्यापारियों से करते हैं। ऐसे में प्रतिदिन 5 से 10 तक ट्रक रोज सप्लाई होते हैं। अभी लहसुन महाराष्ट्र के पुणे और सोलापुर तथा उत्तर प्रदेश के मेरठ और लखनऊ भेजा जा रहा है। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन होने तथा डीजल के भाव बढ़ने से ट्रांसपोर्ट का खर्च 10 फीसदी बढ़ गया है। एक व्यापारी को एक बार माल सप्लाई करने के लिए 15 से 20 हजार रुपए ज्यादा लग रहा है।
मंडी कर्मचारी जगदीश गवली ने बताया कि मंडी में अब किसान थोड़ी मात्रा में प्याज लेकर आ रहे हैं। मंगलवार को 700 कट्टे प्याज की आवक हुई, जो 5 से 8 रुपए किलो तक बिका। वहीं लहसुन की 300 बोरी आई।



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Garlic prices reach Rs 10,000, demand also increases, but transportation is more expensive than before


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