एसिम्प्टोमैटिक मरीजों को दोबारा सैंपल की जरूरत नहीं, 10 दिन इलाज के बाद कर रहे हैं डिस्चार्ज

एसिम्प्टोमैटिक यानी बगैर लक्षण वाले रोगी। इन्हें घर पर ही इलाज मुहैया करवाने की सुविधा पहले से ही है। और अब यह भी कि डिस्चार्ज से पहले इन्हें दोबारा से सैंपल देने की जरूरत भी नहीं।
पॉजिटिव आने वाले रोगी को अस्पताल में इलाज दिया जाता है। सात दिन बाद दोबारा सैंपलिंग की जाती है और निगेटिव आने पर ही संबंधित को डिस्चार्ज किया जाता है। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है लेकिन केवल सिम्प्टोमैटिक यानी लक्षण वाले रोगियों के लिए। एसिम्प्टोमैटिक रोगियों के साथ ऐसा नहीं है। कोरोना के नोडल अधिकारी डॉ. एचपी सोनानिया ने बताया एसिम्प्टोमैटिक मरीज प्राइमरी स्टेज के संक्रमित होते हैं। इनमें लक्षण तक पूरी तरह से उभर कर सामने नहीं आते हैं। यह बेहद कम लक्षण वाले होते हैं। डिस्चार्ज करने से पहले दोबारा इनके सैंपल भी नहीं लिए जा रहे हैं। दस दिन का इलाज पूरा होने पर इन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इधर जिले में अभी एसिम्प्टोमैटिक रोगी ही ज्यादा बढ़ रहे हैं। चार अगस्त तक जिले में कुल 158 रोगी भर्ती थे। इनमें से 117 एसिम्प्टोमैटिक और 41 सिम्प्टोमैटिक थे।

एक माह से एसिम्प्टोमैटिक ज्यादा आ रहे क्योंकि लोगों की इम्युनिटी स्ट्रांग हुई
संक्रमण का खतरा उज्जैन में भले ही बढ़ा हो लेकिन यहां के लोगों की इम्युनिटी स्ट्रांग हुई है। डायबिटीज, हार्ट, अस्थमा जैसी बीमारियों से ग्रसित मरीज या ओल्ड एज के लोगों में ही कोरोना के लक्षण पाए जा रहे हैं, बाकी मरीजों में लक्षण नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर जांच करवाने और खान-पान का ध्यान रखने तथा आयुर्वेदिक काढ़े का उपयोग करने से लोगों की इम्युनिटी स्ट्रांग हुई है।

ऐसे बढ़ते गए एसिम्प्टोमैटिक

  • 1 जुलाई को 21 में से 8 मरीजों में ही लक्षण पाए बाकी के 13 मरीजों में कोई लक्षण नहीं।
  • 15 जुलाई को 62 मरीज भर्ती थे, जिनमें से 20 में लक्षण और 42 मरीजों में लक्षण नहीं थे।
  • 31 जुलाई को हॉस्पिटल में भर्ती 169 मरीजों में से 54 में लक्षण और 115 में लक्षण नहीं।
  • 4 अगस्त को 158 मरीजों में से 41 में लक्षण और
  • 117 में कोई लक्षण नहीं।

लोगों की इम्युनिटी स्ट्रांग हुई है। वर्तमान में लक्षण वाले मरीज कम पाए जा रहे हैं। ऐसे मरीज कम समय में स्वस्थ हो रहे हैं। पहले से बीमार या सैंपलिंग देर से करवाने वालों में जरूर लक्षण हैं। डॉ. सुधाकर वैद्य, गार्डी मेडिकल कॉलेज



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