चार महीने की प्रेक्टिस नहीं होने से चार साल की मेहनत पर फिरा पानी, तीन तैराकों का ओलिंपिक में जाने का सपना चूर
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के असर से एक तरफ जहां लोग आर्थिक संकट सहित अन्य परेशानियां झेल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ खेलों पर भी कोरोना का संक्रमण इस तरह हुआ है कि खिलाड़ियों की सालों की मेहनत पर पानी फिर गया है। मप्र तैराकी अकादमी में चार साल से इसी तरह प्रेक्टिस करने वाले तीन राष्ट्रीय तैराकों का ओलिंपिक में जाने का सपना चूर हो गया है।
17 साल के हर्ष तिवारी, 15 साल के यश तिवारी और 13 साल की नव्या तिवारी चार साल से होशंगाबाद की मप्र तैराकी अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे थे। तीनों एक ही परिवार के हैं आैर आपस में चचेरे भाई-बहन हैं। हर्ष, यश और नव्या ने बताया कि पूरे प्रदेश से केवल 30 चयनित तैराकों को ही अकादमी में प्रशिक्षण दिया जा रहा था। अकादमी में रहते हुए वह प्रतिदिन सुबह 4.30 बजे से 9.30 बजे तक और शाम 4.30 से रात 8.30 बजे तक तैराकी का अभ्यास करते थे। मार्च में लॉकडाउन के कारण उज्जैन आना पड़ा। तब से अभ्यास का क्रम टूट गया, जिसके कारण प्रदर्शन भी गिर गया। तैराकी संघ उज्जैन के संभागीय अध्यक्ष राकेश तिवारी ने बताया कि हमने तीनों बच्चों को केवल इसलिए ही कम उम्र में अकादमी में भेज दिया था, ताकि ओलंपिक में यह बेहतर प्रदर्शन कर मैडल हासिल कर सकें लेकिन लॉकडाउन के बाद चार महीने प्रेक्टिस नहीं होने से पूरे चार वर्ष का अभ्यास बेकार हो गया।
जीते हैं 40 से अधिक मैडल
यश और हर्ष 5 वर्षों से स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय स्पर्धाओं में सहभागिता कर रहे हैं। स्टेट में 30 से अधिक मैडल जीत चुके हैं। वहीं नव्या 2019 में नेशनल तैराकी चैंपियनशिप में सहभागिता कर चुकी है और स्टेट में 10 से अधिक मैडल जीत चुकी है।
कुछ ही दूर थे, अब शून्य पर आ गए
तिवारी ने बताया ओलंपिक में सबसे ज्यादा पदक तैराकी में ही होते हैं। ओलंपिक में तैराकी की अलग-अलग विधाओं में 102 मैडल होते हैं। चार के अभ्यास में 50 मीटर में यश को 28 से 29 सेकंड लगते थे, जबकि ओलंपिक का मापदंड 20 सेकंड है। वहीं हर्ष 1500 मीटर फ्री स्टाइल में 17 मिनट 81 सेकंड का समय लगाते थे, जबकि ओलंपिक का मापदंड 15 मिनट है। नव्या 100 मीटर बेक स्ट्रोक में 1 मिनट 20 सेकंड का टाइम लेती थी, जबकि ओलंपिक का मापदंड 55 सेकंड है। तीनों ने बताया कि चार महीने से प्रेक्टिस नहीं होने के कारण अब वे फिर से शून्य पर आ गए हैं, जिसके असर से ओलंपिक तो दूर, राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्पर्धाओं में भी प्रदर्शन प्रभावित होगा।
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