पहले दिन यह सीख मिली- क्षमा सब धर्मों का सार है.. आज मार्दव धर्म - चित्त में मृदुता व व्यवहार में नम्रता होना

दिगम्बर जैन समाज के पर्युषण पर्व रविवार को सोशल डिस्टेंस के साथ शुरू हो गए। जैन मंदिरों में दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु अपने घर से शास्त्र व जाप मालाएं लेकर आए थे। पूजन करने वालों के नाम तय कर मंदिरों में भीड़ सीमित तय की गई। धर्म के 10 लक्षणों क्षमा, मार्दव, आर्जव, शुचिता, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य, ब्रह्मचर्य की सीख देने वाले पर्व में आज पहला धर्म उत्तम क्षमा का था। सोमवार को उत्तम मार्दव धर्म के पालन का संकल्प लिया जाएगा। आज मार्दव धर्म या सीख देगा कि चित्त में मृदुता व व्यवहार में नम्रता होना जरूरी है।
पंडितों ने कहा कि पर्युषण पर्व का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि का है। पर्यावरण का शोधन और संत व विद्वानों की वाणी का अनुसरण करना है। आज जैन मंदिरों में बताया गया क्षमा आत्मा का धर्म है। क्षमा ही सब धर्मों का सार है। क्षमा वीर पुरुषों का भूषण है। जो मानव अपना कल्याण चाहते हैं , उन्हें इस भावना की रक्षा करनी चाहिए। जिनकी क्रोध प्रकृति है वह किसी का उपकार या दया नहीं कर पाते। क्षमावान पुरुष को पृथ्वी की उपमा दी गई है। जैसे पृथ्वी पहाड़, पत्थर, वृक्ष, नदी, सरोवर, सभी प्राणियों का भार अपने आप सह लेती है, उसी प्रकार क्षमावान मनुष्य उपसर्ग, निंदा, तिरस्कार को सहन करते हुए अपने क्षमाभाव को नहीं छोड़ता है।



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