2 बार की बोवनी, 3 बार डाली दवाइयां, फिर भी नहीं बची फसल तो मवेशी से चरवाई

9 बीघा में लगाई सोयाबीन फसल में पहली बोवनी खराब होने पर दूसरी भी की। खरपतवार और कीटव्याधि से तीन बार दवाई का छिड़काव करना पड़ा। लेकिन 60 दिन की फसल की फलियों में ठीक से दाने भी नहीं पड़े और समय से पहले सूखने लगे।

फिर नाउम्मीद होने के बाद दिन-रात की मेहनत से तैयार की गई फसल को मवेशियों को चरवाने का कदम उठाना पड़ा। यह बयानगी है नटेरन से दो किमी दूर समराहा गांव के किसान खिलान सिंह की। खिलान सिंह के खेत में करीब सवा सौ डेढ़ सौ मवेशी खारा खाते हुए नजर आए। उसने गांव के चरवाहे को पशुओं के निवाले के लिए अपनी फसल सौंप दी।

मौसम की बेरुखी...

बोवनी के समय बारिश नहीं हुई, जैसे- तैसे ट्यूबवेल से पानी लिया, फसलें बढ़ी तो कीटों का प्रकोप, दवाई छिड़काव के बाद बारिश नहीं होने से फसलें पीली पड़ी और जिनमें फलियां आई वो गिरने लगी।

इन गांवों में भी फसलों की स्थिति है खराब

सलैया, खामखेड़ा, बामोरा, लाड़पुर, सुल्तनिया, सांकलखेड़ा, पीपलखेड़ा, रामगढ़, खमतला, सेमरा, बिलौरी, बेरखेड़ी, बामनखेड़ा आदि गांवों में लगभग 70 फीसदी फसल खराब हो गई हैं।



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समराहा गांव के किसान ने 9 बीघा में सोयाबीन की फसल पशुओं के निवाले के लिए दी


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