मंत्री ने कहा था कि कार्रवाई करेंगे, लेकिन अधिकारियों ने अपनों को बचाने छात्रवृत्ति की राशि वापस शासन को जमा करवा दी, जिन्होंने जमा कराई वह भी आधी-अधूरी

जब अधिकारी भी शिक्षा माफियाओं को बचाने के प्रयास कर रहे हों तो ऐसे में शिक्षा का स्तर कैसे सुधर सकता है। इन माफिया की मनमानी के आगे प्रशासनिक अधिकारी भी बोने साबित नजर आ रहे हैं। या फिर यू कहें कि इन माफियाओं को बचाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी हर संभव कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में जो स्कूल नियम-कायदे से चलते हैं उनका मनोबल टूटता है।

शहर में चर्चा है कि जिस तरह से दूसरे मामले ठंडे बस्ते में चले जाते हैं उसी तरह इस मामले में भी अधिकारी लीपा-पोती कर देंगे।
हम बात कर रहे हैं पिछले दिनों सामने आए स्कॉलरशिप घोटाले की। जिले के 18 निजी स्कूलों ने 12वीं उत्तीर्ण बच्चों के नाम से अलग-अलग कक्षाओं में फर्जी एडमिशन दिखाकर इन बच्चों के नाम लाखों की स्कॉलरशिप निकाली थी। जब गलती सामने आई तो शिक्षा विभाग के अधिकारी इन स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उनका बचाव करते नजर आ रहे हैं।

यही वजह है कि जेडी कार्यालय से पहले छह स्कूलों की मान्यता निलंबित की गई और फिर बाद में इन स्कूलों को नोटिस भेजते हुए धोखाधड़ी से निकाली गई स्कॉलरशिप की राशि वापस शासन के खाते में जमा करवाने ने निर्देश दे दिए गए।

ताकि इन स्कूल संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से बचाया जा सके। जबकि खुद संयुक्त संचालक ने इन स्कूल संचालकों से रिकार्ड जब्त करने और उनके खिलाफ एफआईआर के निर्देश दिए थे।

यही नहीं खुद स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा था कि पूरा काम ऑनलाइन होता है। जिससे यह पूरा मामला प्रमाणित है। इसलिए बारीकी से जांच की जा रही है दोषी को किसी भी हालत छोड़ा नहीं जाएगा। जबकि ठीक इसके अधिकारी राशि जमा करवाकर उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि इनमें से कुछ स्कूल संचालकों ने डीईओ कार्यालय द्वारा दिए गए कोड में राशि भी जमा कर दी है। लेकिन वह भी आधी-अधूरी। इससे प्रमाणित होता है कि स्कूल संचालकों ने धोखाधड़ी तो की है।

शिक्षा माफिया की दमदारी : जिले के 18 निजी स्कूलों ने धोखाधड़ी करते हुए 12वीं पास बच्चों के नाम से फर्जी एडमिशन करके निकाली थी लाखों की स्कॉलरशिप

1 लाख 4 हजार 460 की छात्रवृत्ति जमा किए 53 हजार 360
दैनिक भास्कर के पास एक निजी स्कूल द्वारा धोखाधड़ी से निकाली गई छात्रवृत्ति की राशि वापस करने की रसीद है। लेकिन वह रसीद स्कॉलरशिप की राशि से बहुत कम है। पिछले दिनों स्कॉलरशिप की राशि जमा करने के नोटिस के बाद अशास. नवोदित विद्या मंदिर उमावि स्कूल ने छात्रवृत्ति की राशि शासन के खाते में जमा करने के लिए चालान जमा करवाया है। इस चालान के माध्यम से उन्होंने 53 हजार 360 रुपए ही शासन को वापस लौटाए हैं। जबकि उन्होंने 1 लाख 4 हजार 460 रुपए की स्कॉलरशिप धोखाधड़ी से निकाली थी।

प्राचार्यों के खिलाफ सख्ती क्यों नहीं
पूरे मामले में निजी स्कूल संचालकों के साथ-साथ सकुल प्राचार्य भी उतने ही दोषी हैं। क्योंकि सभी बच्चों की छात्रवृत्ति स्वीकृत संकुल प्राचार्य के वेरिफिकेशन के बाद होती है। एक मात्र आष्टा ब्लॉक में ही इस तरह के मामले सामने आए हैं। यदि इस मामले में संकुल प्राचार्यों को दोषी माना जाए और उनके पूछताछ की जाए तो बड़ा खुलासा हो सकता है।

इसलिए सामने आ गई धांधली
कभी स्कॉलरशिप तो कभी फर्जी एडमिशन के नाम पर हर साल शिक्षा विभाग में बड़े-बड़े धोखे होते आए हैं। लेकिन उनमें से अधिकांश मामले ठंडे बस्ते में दब जाते हैं। लेकिन इस बार नई प्रक्रिया के तहत माशिमं ने 12वीं के सभी बच्चों का पूरा रिकार्ड ऑनलाइन किया था, ताकि फर्स्ट ईयर में एडमिशन के समय उन्हें वेरिफिकेशन के लिए कॉलेज में जाने की जरूरत न हो।

कलेक्टर भी जवाब देने से बचे

इस संबंध में कलेक्टर अजय गुप्ता भी कुछ कहने से बचते नजर आए। मोबाइल पर चर्चा करते हुए जब कलेक्टर श्री गुप्ता से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने आवाज न आने का कहते हुए बाद में फोन लगाने का कहा। लेकिन बाद में जब उन्हें फोन लगाया गया तो उन्होंने भी फोन नहीं उठाया।



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