प्रशासन ने इससे सर्वे, सैंपलिंग में लगे स्टाफ के लिए किट, ग्लव्ज व मास्क खरीदे

कोरोना काल के दौरान इंदौर के लोगों ने शासन, प्रशासन के साथ कदम से कदम मिलाते हुए राशि से लेकर सामग्री तक दान की। सामान्य रूप से हर साल रेडक्रॉस में एक से सवा करोड़ रुपए की राशि दान आती है। कोरोना काल में केवल अप्रैल से अगस्त के बीच करीब साढ़े चार माह के दौरान ही लोगों ने 2 करोड़ 65 लाख 71 हजार की राशि दान कर दी। इसमें व्यक्तिगत दान के साथ ही सामाजिक संस्थाओं, ट्रस्ट द्वारा दी गई राशि शामिल है।
इस राशि का इस्तेमाल जिला प्रशासन ने सर्वे, सैंपलिंग जैसे मैदानी कामों में लगी आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को अतिरिक्त मानदेय देने के साथ ही मेडिकल स्टाफ के लिए किट, ग्लव्ज, मास्क खरीदने, बायपैप व अन्य जरूरी चिकित्सा उपकरण लेने में किया। क्वारेंटाइन सेंटर में मरीजों के लिए भोजन आदि सामग्री की व्यवस्था करने, मजदूरों को बसों से अन्य शहरों तक भेजने के लिए भी राशि दी गई। कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि पूरे समय लोगों ने बढ़कर दान दिया। यही इस शहर की तासीर है। यहां लोग हमेशा हर बड़े काम में जनभागीदारी निभाते हैं।
क्वारेंटाइन सेंटर के लिए होटल दिए थे
एक निजी कंपनी ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज को कोरोना टेस्टिंग के लिए 60 लाख की मशीन दी। एक आईटी कंपनी ने करीब 30 लाख के पल्स ऑक्सीमीटर दान में दिए। होटल एसोसिएशन ने क्वारेंटाइन सेंटर के रूप में करीब दो से तीन माह तक प्रशासन को अपने होटल दिए।
लॉकडाउन के दौरान राशन सामग्री और भोजन बांटा, श्रमिकों को चप्पलें पहनाईं
शहर की दानी संस्थाओं ने अप्रैल-मई के लॉकडाउन के दौरान रोजाना हजारों लोगों को राशन सामग्री वितरित की। निगम द्वारा बांटी गई राशन सामग्री में विभिन्न संस्थाओं द्वारा आटा, दाल, तेल, शकर, नमक, आलू-प्याज का दान किया गया। कई कंपनियों ने तैयार भोजन भी बांटा, जिसे कलेक्टर, निगमायुक्त से लेकर कई अधिकारियों ने ड्यूटी के दौरान उपयोग किया। जब मजदूरों का पलायन हुआ, तब संस्थाओं ने हजारों मजदूरों के पैरों में चप्पलें पहनाईं। उन्हें राशन सामग्री भी दी।
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